भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में कटौती के फैसले के बाद देश के कई बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती कर दी है। इससे अब एफडी निवेशकों की कमाई पहले की तुलना में कम हो गई है। चाहे सरकारी बैंक हों या प्राइवेट बैंक, सभी ने ब्याज दरों में कैंची चला दी है। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ा है, जो FD को सुरक्षित और स्थिर रिटर्न का माध्यम मानते थे।
HDFC बैंक ने घटाईं दरें
प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े बैंक HDFC ने चुनिंदा अवधि की FD पर ब्याज दरों में 50 आधार अंकों (bps) तक की कटौती की है। नई दरें 19 अप्रैल 2025 से लागू हो चुकी हैं। अब तीन करोड़ रुपये से कम की FD पर सामान्य नागरिकों को 3% से 7.10% और वरिष्ठ नागरिकों को 3.5% से 7.55% तक का ब्याज मिलेगा। इससे पहले HDFC बैंक ने बचत खातों पर ब्याज दरों में भी 25 bps की कटौती की थी।
विशेष रूप से, 15 से 18 महीने की FD पर ब्याज दर 7.10% से घटकर 7.05% हो गई है, जबकि 18 से 21 महीने की FD पर दर 7.25% से घटकर 7.05% कर दी गई है। 21 महीने से 2 साल की FD पर तो सीधी 30 bps की कटौती हुई है, और अब यह 6.70% रह गई है। हालांकि, एक साल की FD पर बैंक ने ब्याज दर यथावत रखी है।
फेडरल बैंक ने भी की कटौती
फेडरल बैंक ने भी FD और सेविंग अकाउंट की ब्याज दरों में कटौती कर दी है। बैंक ने 46 से 90 दिनों की FD पर ब्याज 5.50% से घटाकर 4.50% कर दिया है, जबकि 91 से 180 दिनों की FD पर अब 5% ब्याज मिलेगा। पहले यह 5.50% था।
इसके अलावा, बैंक ने 181 दिन की हाई रिटर्न FD स्कीम को पूरी तरह बंद कर दिया है, जिसमें पहले 6.50% ब्याज मिलता था। 182 से 270 दिनों की FD पर भी ब्याज दर घटाकर 6.25% से 6% कर दी गई है। वहीं, एक साल की FD अब 7% के बजाय 6.85% ब्याज दे रही है।
अन्य बैंक भी पीछे नहीं
SBI, PNB, यस बैंक, केनरा बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, इक्विटास और शिवालिक स्मॉल फाइनेंस बैंक जैसे कई बड़े और छोटे बैंक भी FD की दरों में बदलाव कर चुके हैं। यह कटौती आमतौर पर 10 से 50 आधार अंकों के बीच रही है, जिससे निवेशकों की आय में सीधा असर पड़ा है।
क्यों हो रही है ब्याज दरों में कटौती?
RBI की रेपो रेट कटौती के पीछे मकसद होता है अर्थव्यवस्था में सस्ती दरों पर धन की उपलब्धता बढ़ाना। जब बैंकों को कम दर पर ऋण मिल जाता है, तो उन्हें FD पर अधिक ब्याज देकर पैसा आकर्षित करने की जरूरत नहीं रह जाती। यही वजह है कि बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती की है।
निष्कर्ष
ब्याज दरों में यह गिरावट FD को अब पहले जितना आकर्षक निवेश विकल्प नहीं रहने दे रही। ऐसे में निवेशकों को अपनी पूंजी के लिए अब विकल्पों की तलाश करनी होगी—जैसे म्यूचुअल फंड, सरकारी बॉन्ड या अन्य निवेश साधन। विशेषज्ञों की मानें तो यह दौर FD से मिलने वाले स्थिर रिटर्न में गिरावट का संकेत है, जिससे निवेशकों को सतर्क होकर निर्णय लेने की आवश्यकता है।