इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध ने मध्यपूर्व के हालात को और भी जटिल बना दिया है। इस घातक संघर्ष के बीच अमेरिका के ईरान पर हमले ने वैश्विक राजनीति को नया आयाम दिया है। इस पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान पर खुलकर निशाना साधा।
ओवैसी ने कहा कि नेतन्याहू ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ जो बर्बरता दिखाई है, वह इतिहास में एक कसाई के तौर पर दर्ज होगी। उन्होंने नेतन्याहू को ‘कत्लेआम करने वाला शख्स’ बताया और कहा कि पश्चिमी तट और गाजा की जनता पर हुए अत्याचारों के लिए वह कभी माफी नहीं मांग पाएगा। उनका मानना है कि नेतन्याहू का नाम इतिहास में उस नेता के रूप में लिखा जाएगा जिसने निर्दोष फिलिस्तीनियों की हत्या की।
पाकिस्तान पर ओवैसी का प्रहार
ओवैसी ने पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने सवाल उठाया कि पाकिस्तान ने ट्रंप को ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ देने की सिफारिश क्यों की थी, जबकि अमेरिका अब ईरान पर आक्रमण कर चुका है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो चुका है। वे पूछते हैं कि क्या पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर का अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ हाल ही में लंच इसीलिए था कि वे इस आक्रमण को लेकर किसी रणनीति पर चर्चा कर रहे थे? क्या पाकिस्तान अब भी ट्रंप को शांति का नोबेल पुरस्कार दिलवाने की कोशिश करेगा, जबकि अमेरिका का यह कदम शांति के विपरीत है?
ईरान की परमाणु क्षमता को लेकर आशंका
ओवैसी ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि अमेरिका के ईरान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले के बाद ईरान और अधिक सशक्त होगा। उनका दावा है कि आने वाले 5 से 10 वर्षों में ईरान निश्चित रूप से एक परमाणु शक्ति बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि अमेरिका के हमले की जानकारी ईरान के पास पहले से हो और उसने अपने परमाणु हथियारों को कहीं और छुपा लिया हो। इसलिए यह हमले केवल ईरान को और अधिक परमाणु बनने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
अरब देशों की स्थिति पर भी दी चेतावनी
ओवैसी ने कहा कि अमेरिका के हमले के बाद अरब देशों को अपनी सुरक्षा और भविष्य के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अरब देशों को इजरायल के हमलों से बचना है, तो उन्हें भी परमाणु क्षमता हासिल करनी होगी। उन्होंने यह संकेत दिया कि मध्य पूर्व में न्यूक्लियर पावर बनाना अब आवश्यक हो गया है ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
ओवैसी का निष्कर्ष और आगामी राह
ओवैसी के अनुसार, इजरायल-ईरान संघर्ष और अमेरिका के हस्तक्षेप ने मध्य पूर्व की राजनीति को और भी पेचीदा बना दिया है। उनकी राय में इस युद्ध के कारण न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्थिरता को खतरा है। उन्होंने विश्व समुदाय से शांति स्थापित करने की अपील की और कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं बल्कि विनाश की शुरुआत है।
उनका कहना है कि अमेरिका और इजरायल की इस कार्रवाई ने क्षेत्र में तनाव और हिंसा को बढ़ावा दिया है, जिससे हजारों निर्दोष लोग प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान को भी कहा कि उसे वैश्विक राजनीति में अपनी भूमिका स्पष्ट करनी होगी और हिंसा व युद्ध को बढ़ावा देने के बजाय शांति के प्रयासों में योगदान देना चाहिए।
निष्कर्ष
असदुद्दीन ओवैसी की यह प्रतिक्रिया मध्य पूर्व की जटिलताओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल राजनीतिक हस्तियों पर कटाक्ष किया बल्कि क्षेत्रीय देशों के लिए भी भविष्य की चेतावनी दी। उनका मानना है कि बिना कूटनीति और समझौते के इस संघर्ष का कोई हल नहीं निकल सकता।
इस स्थिति में विश्व समुदाय की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वे सभी पक्षों को बातचीत की मेज पर लाएं और हिंसा बंद कराए। केवल तभी मध्य पूर्व में स्थायी शांति संभव होगी और करोड़ों लोगों का जीवन सुरक्षित रह पाएगा।