कानपुर पुलिस में तैनात रहे डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति रखने के गंभीर आरोप लगने के बाद उन्हें शासन द्वारा निलंबित (Suspend) कर दिया गया है। आय से अधिक संपत्ति के इस हाई-प्रोफाइल मामले के सामने आने के बाद, शुक्ला ने पहली बार मीडिया के सामने आकर इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। रिपोर्ट के अनुसार, सस्पेंड डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला ने न केवल शिकायतकर्ता को हिस्ट्रीशीटर और गैंगस्टर बताया, बल्कि एक सपा विधायक पर भी अपराधियों के सिंडिकेट को शरण देने का गंभीर आरोप लगाया।
आरोपों का सीधा खंडन: 'जांच के लिए तैयार'
अपने ऊपर लगे बेनामी संपत्ति के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए ऋषिकांत शुक्ला ने सीधे तौर पर उन्हें खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह किसी भी जांच के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और अगर आरोप साबित होते हैं तो हर सजा भुगतने को तैयार हैं। शुक्ला ने चुनौती देते हुए कहा, "कानपुर के पॉश इलाके स्वरूप नगर के रेडियंश टाउन में अगर मेरे या मेरे मित्र के नाम पर कुछ निकल आए तो हर सजा भुगतने को तैयार हैं।"
उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ शिकायत करने वाला मनोहर शुक्ला हिस्ट्रीशीटर है और उसने मीडिया के माध्यम से लाइमलाइट में आने के लिए यह झूठी शिकायत की है। डीएसपी ने कहा कि जिन अपराधियों के खिलाफ उन्होंने पहले कार्रवाइयां की थीं, वह सभी अब संगठित होकर साजिश रच रहे हैं और शिकायतकर्ता को सपोर्ट कर रहे हैं। शुक्ला ने अपने विभाग पर पूरा भरोसा होने की बात भी कही।
सपा विधायक पर गैंगस्टरों को शरण देने का आरोप
ऋषिकांत शुक्ला ने अपने खिलाफ हो रही साजिश में राजनीतिक संरक्षण का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) की एक विधायक को घेरे में लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनका शिकायतकर्ता, जो एक हिस्ट्रीशीटर है, वह सपा की एक विधायिका के लखनऊ आवास पर रह रहा है। शुक्ला के अनुसार, "सपा की एक विधायिका ने अपराधियों को अपने आवास पर छिपाया है।" उन्होंने आगे कहा कि अपराधियों के सिंडिकेट को सपा विधायिका का सीधा समर्थन मिल रहा है।
हालांकि, डीएसपी के इस गंभीर आरोप पर अभी तक समाजवादी पार्टी या संबंधित विधायक की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। कानपुर के डीएसपी पर लगे 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति के आरोप और उसके बाद उनके द्वारा लगाए गए जवाबी आरोपों ने इस मामले को उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में गरमा दिया है। अब यह देखना होगा कि शासन और जांच एजेंसियां इस हाई-प्रोफाइल मामले की तह तक जाने के लिए क्या कदम उठाती हैं।