नाबालिग बेटी द्वारा पिता को लिवर डोनेट करने के लिए शासन से मिली अनुमति, हाईकोर्ट से अनुमति मिलते ही सर्जरी होगी, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, June 25, 2024

मुंबई, 25 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इंदौर में नाबालिग बेटी द्वारा पिता को लिवर डोनेट करने के मामले में शासन स्तर से अनुमति दे दी गई है। मंगलवार शाम को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। एडवोकेट नीलेश मनोरे का कहना है कि शासन स्तर से तो लिवर ट्रांसप्लांट की अनुमति मिल गई लेकिन हाईकोर्ट से अनुमति मिलना बाकी है। हमने इसके लिए चीफ जस्टिस के सामने तत्काल सुनवाई के लिए अपील की है। वहां से आज रात या कल सुबह अनुमति मिलने की संभावना है। मामले में अनुमति मिलने की सूचना परिजनों को भी दे दी गई है। इसके बाद ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया निजी हॉस्पिटल में शुरू कर दी गई है। पिता और डोनर नाबालिग बेटी को डॉक्टर ने ऑब्जर्वेशन में लिया है। कल लिवर ट्रांसप्लांट के लिए ऑपरेशन की संभावना परिजनों की तरफ से जताई गई है। बता दें बेटी के नाबालिग होने की वजह से लिवर ट्रांसप्लांट के लिए हाईकोर्ट में अनुमति के लिए याचिका लगाई गई थी। मामले में कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से बेटी की फिटनेस को लेकर रिपोर्ट मांगी थी जिसे कोर्ट में सबमिट कर दिया गया है। रिपोर्ट पॉजिटिव है लेकिन शासन का जवाब नहीं आने की वजह से पिछली सुनवाई में फैसला नहीं हो पाया। सोमवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली तारीख 27 जून की दी और दो दिन में शासन को जवाब देने के निर्देश दिए थे। इस बीच शासन ने अपना जवाब देते हुए अनुमति देने का ऑर्डर जारी कर दिया।

दरअसल, इंदौर के शिवनारायण बाथम (42) का लिवर फेल हो गया है। हालत क्रिटिकल है। डोनर नहीं मिला, ऐसे में नाबालिग बेटी प्रीति ने कहा था कि वह पिता को लिवर देंगी। हालांकि, उनकी उम्र 18 साल से दो महीने कम है। पिता को कोई डोनर नहीं मिलने पर नबालिग बेटी ने लिवर डोनेट करने की इच्छा जाहिर की। लेकिन डॉक्टरों ने बेटी के नाबालिग होने के चलते ट्रांसप्लांट करने से इंकार कर दिया। इस पर बेटी ने वकील के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर कर पिता को लिवर डोनेट करने की अनुमति मांगी। चूंकि डॉक्टर पहले ही पिता की स्थिति को लेकर चेतावनी दे चुके हैं कि यदि जल्द से जल्द लिवर ट्रांसप्लांट नहीं किया तो मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा है। अगर मल्टी ऑर्गन फेलियर हो गया तो पेशेंट बीमार होकर वेंटिलेटर पर आ जाएगा। डायलिसिस पर आएगा। तब लिवर ट्रांसप्लांट करना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि टाइमली लिवर ट्रांसप्लांट में तो सिर्फ लिवर बदलना पड़ता है। लेकिन ऑर्गन फेलियर की कंडीशन में एक से ज्यादा ऑर्गन (शरीर के अंग) फेल हुए तो कैसे मैनेज होगा? अभी भी पेशेंट आईसीयू में है। सुधार है, लेकिन जल्द से जल्द ट्रांसप्लांट जरूरी है। इन कारणों से बेटी ने हाईकोर्ट में हाई कोर्ट इंदौर में 13 जून को याचिका दायर की। इसमें लिवर डोनेट करने की अनुमति मांगी। 


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