मुंबई, 26 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा के स्पीकर चुने गए। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रोटेम स्पीकर भतृर्हरि महताब ने स्पीकर के चुनाव की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत NDA के नेताओं ने समर्थन किया। सदन में ध्वनिमत से बिरला के नाम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद PM मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी उन्हें चेयर तक छोड़ने आए। इससे पहले शिवसेना (यूटीबी) सांसद अरविंद सावंत ने कांग्रेस सांसद के. सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुने जाने का प्रस्ताव रखा।
तो वहीं, स्पीकर ओम बिरला अपना भाषण देने के लिए उठे। उन्होंने कहा, मुझे इस महान सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में चुना गया। इसी दौरान विपक्ष के कई सांसद अपनी बात रखने के लिए हंगामा करने लगे। इस पर ओम बिरला ने कहा, जब स्पीकर सीट से खड़ा हो जाता है। तब सदस्यों को बैठ जाना चाहिए। ये मैं पहली बार कह रहा हूं, यह दोबारा नहीं कहना पड़े। सभी सदस्य 1-1 मिनट से ज्यादा न बोलें। ओम बिरला ने कहा, यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने की निंदा करता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर अंबेडकर के संविधान का अपमान किया था। इंदिरा गांधी ने भारत पर तानाशाही थोपकर लोकतंत्र का अपमान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी छीनी गई। मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी गई थी। कई नेताओं को मीसा के तहत बंद किया। जिसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने इमरजेंसी के दौरान जान गंवाने वालों की याद में दो मिनट का मौन रखने को कहा। सत्ता पक्ष के सांसदों ने मौन रखा, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष के सांसद हंगामा करते रहे। कांग्रेस सांसदों का आरोप था कि स्पीकर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं। मौन के बाद स्पीकर ने गुरुवार तक के लिए संसद को स्थगित कर दिया।
उधर, बिरला के स्पीकर बनने पर PM ने कहा, आपके पांच साल के अनुभव से आप आने वाले पांच साल हम सबका मार्गदर्शन करेंगे। शास्त्रों में कहा गया है कि विनम्र और व्यवहार कुशल व्यक्ति सफल होता है। आपको उसके साथ मीठी-मीठी मुस्कान भी मिली है। राहुल गांधी ने कहा- मुझे विश्वास है कि आप विपक्ष की आवाज दबने नहीं देंगे। साथ ही, सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा, उम्मीद है कि विपक्ष की आवाज नहीं दबाई जाएगी। न ही निष्कासन जैसी कार्रवाई की जाएगी। आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता है, सत्ता पर भी रहे। आपके इशारे पर सदन चलता है, इसका उल्टा न हो। साथ ही, एनसीपी सांसद सुप्रिया सूले ने कहा, कोविड में आपने जो काम किया, वो सराहनीय है। पांच साल में आपने बहुत अच्छा काम किया, लेकिन 150 लोग जब सस्पेंड हुए, तब सबको बहुत दुख हुआ। हम चाहते हैं कि सस्पेंशन न हो, सब मिलकर काम करें। बातचीत का ऑप्शन खुला रहे। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि गतिरोध सदन की परंपरा नहीं है। बेल में आना सदन की परंपरा नहीं है। मैं कभी सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करना नहीं चाहता, लेकिन जब नियम तोड़े जाते हैं तो कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं। विरोध को संसदीय मर्यादा के तहत दर्ज कराएं।