मुंबई, 28 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के पास सरकारी कामकाज के लिए भी पैसा नहीं बचा है। इसके चलते सरकार ने सकारी खर्च पर नियंत्रण करने का फैसला किया है। पाकिस्तान की कैबिनेट ने 6 मंत्रालयों के 80 से ज्यादा विभागों के विलय और खत्म करने का फैसला किया है। विभागों की संख्या को 82 से घटाकर 40 किया जाएगा। इसके अलावा सरकार ने गैर-जरूरी खर्चों पर भी रोक लगाने का फैसला किया है। इसमें सराकारी के दफ्तरों के अंदर साफ-सफाई जुड़े कामों को भी शामिल किया है। इसका मतलब यह है कि अब से पाकिस्तान के सरकारी दफ्तरों में साफ-सफाई का काम नहीं होगा।
पाकिस्तान की रिफॉर्म कमेटी ने सरकार को सलाह देते हुए सरकारी भर्तियों पर रोक लगाने के लिए कहा है। इसके अलावा सरकारी नौकिरियों के खाली पड़े 1.5 लाख पदों को भी खत्म करने की सिफारिश की है। विभागों के विलय के बाद कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर की जांच के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन कर दिया है। इसके अलावा जिन विभागों को खत्म कर दिया गया है, उनके कर्मचारियों को राज्य सरकारों के विभागों और दूसरे संगठनों में भेजने का प्लान बनाया जा रहा है। साथ ही सरकार ने नए वाहनों की खरीद पर रोक लगा दी है। हालांकि इससे एंबुलेंस की खरीद को बाहर रखा गया है। पाकिस्तान आर्थिक संकट से उभरने के लिए कई बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत पैकेज की मांग कर चुका है।
वहीं, आर्थिक संकट और IMF की कड़ी शर्तों से जूझ रहे पाकिस्तान ने मई 2024 में सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया था। पाक PM शहबाज शरीफ ने कहा था कि, 'बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है, सरकार का काम बिजनेस और देश में निवेश के लिए अच्छा माहौल देना है।' शरीफ ने कहा था कि सभी सरकारी कंपनियों को बेचा जाएगा, चाहे मुनाफा कमा पा रही हों या नहीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार सिर्फ उन कंपनियों को अपने पास रखेगी जो रणनीतिक रूप से अहम हैं। प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से अपील की थी कि वो प्रक्रिया को आसान बनाने में प्राइवेटाइजेशन कमीशन का सहयोग करें। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास 88 सरकारी कंपनियां हैं।