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प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाए गए शक्तिकांत दास, दिसंबर में हुए थे रिटायर, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Sunday, February 23, 2025

मुंबई, 23 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी 2 नियुक्त किया गया है। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने शनिवार को यह नियुक्ति की है। कमेटी के सेक्रेटरी मनीष सक्सेना ने नियुक्ति की जानकारी दी। शक्तिकांत दास RBI गवर्नर के पद से 10 दिसंबर को रिटायर हुए थे। 22 फरवरी को उन्हें PM का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है। यानी रिटायरमेंट से नियुक्ति के 75वें दिन ही वे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में अहम पद पर पहुंच गए। फिलहाल पीके मिश्रा प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के नंबर वन पॉजिशन पर हैं। शक्तिकांत दास नंबर 2 होंगे। दास तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के IAS अधिकारी रह चुके हैं। वहीं मिश्रा गुजरात कैडर के रिटायर अधिकारी हैं। दास भारतीय रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर के अलावा भारत के जी20 शेरपा और 15वें वित्त आयोग के सदस्य के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने 42 साल के करियर में वित्त, निवेश और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में काम किया है।

आपको बता दें, शक्तिकांत दास 2023 और 2024 में लगातार दो बार दुनिया के टॉप सेंट्रल बैंकर चुने गए। शक्तिकांत दास को सेंट्रल बैंक रिपोर्ट कार्ड 2023 और 2024 में A+ ग्रेड मिला। यह अवॉर्ड अमेरिका के वॉशिंगटन D.C. में ग्लोबल फाइनेंस देती है। शक्तिकांत दास को महंगाई पर कंट्रोल, इकोनॉमिक ग्रोथ, करेंसी में स्टेबिलिटी और ब्याज दरों पर नियंत्रण के लिए यह सम्मान दिया गया। RBI गवर्नर के तौर पर दास ने भारत और दुनिया के लिए सबसे अस्थिर दौर कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष जैसे संकटों में भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। कोरोना के दौरान दास के नेतृत्व में RBI ने लिक्विडिटी और एसेट क्वालिटी को बनाए रखने के लिए नए और पुराने आर्थिक नीतियों और उपायों को लागू किया। दास ने जिन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया, उनमें IL&FS संकट शामिल था। इसके चलते नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) को काफी नुकसान हुआ था। उन्होंने यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक को कोलैप्स होने से बचाया। 2018 में जब दास ने कार्यभार संभाला था तब रेपो रेट 6.50% पर थी। उनके नेतृत्व में RBI ने इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए इसे घटाकर 4% पर ला दिया। बाद में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए इसे फिर से बढ़ाकर 6.50% कर दिया। दास के कार्यकाल के दौरान देश के लिस्टेड बैंको का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी NPA सितंबर 2024 तक 2.59% के निचले स्तर पर आ गया, जबकि दिसंबर 2018 में यह 10.38% था। इस दौरान बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी में भी उछाल आया और बैंकों ने वित्त वर्ष 2023 में 2.63 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया, जबकि वित्त वर्ष 2018 में बैंकों को 32,400 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।


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