मुंबई, 02 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। हाईकोर्ट ने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जोबनेर के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि यूनिवर्सिटी के कर्मचारी राज्य कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते है। इन पर सरकारी आदेश लागू नहीं होते हैं। यह आदेश जस्टिस समीर जैन की अदालत ने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जोबनेर के असिस्टेंट प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह और बद्रीनारायण की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं ने अपने तबादला आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि प्रदेश में तबादलों पर बैन है। राज्य सरकार ने 3 जनवरी 2024 के आदेश से प्रदेश में तबादलों पर बैन लगा रखा है। सरकार ने साफ किया है कि यह आदेश प्रदेश के सभी राज्य अधिकारी, कर्मचारी, बोर्ड, कॉरपोरेशन और स्वायत्तशासी संस्थाओं पर लागू होगा। यूनिवर्सिटी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने कहा कि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की स्थापना विधानसभा से पारित एक्ट के तहत हुई हैं। यूनिवर्सिटी के अपने रूल्स एंड रेगुलेशन हैं। हम पर सरकार के आदेश लागू नहीं होते हैं।
तो वहीं, यूनिवर्सिटी की ओर से कहा गया कि एक्ट का सेक्शन-40 कहता है कि राज्य सरकार यूनिवर्सिटी को जो वित्तीय सहायता देती हैं। केवल उसके चैक-बैलेंस का हिसाब रख सकती हैं। उसके अलावा राज्य सरकार का यूनिवर्सिटी पर कोई नियंत्रण नहीं है। एक्ट का सेक्शन-26 यूनिवर्सिटी के कुलपति (वीसी) को सभी प्रशासनिक शक्तियां देता है। इससे वो यूनिवर्सिटी का संचालन करता है। वहीं, राज्य के राज्यपाल में तमाम शक्तियां निहीत होती हैं। ऐसे में राज्य सरकार के आदेश यूनिवर्सिटी पर लागू नहीं होते हैं। जिस तबादला आदेश की बात याचिकाकर्ता कर रहे हैं। उसमें स्वायत्तशासी संस्थाओं का जिक्र जरूर है, लेकिन यह केवल उन स्वायत्तशासी संस्थाओं पर ही लागू होता है जो राज्य सरकार के अधीन हैं। तो वहीं, हाईकोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को तुरंत नई जगह पर जॉइन करने निर्देश दिए। वहीं, इनके जॉइन नहीं करने पर यूनिवर्सिटी को इनके खिलाफ कार्रवाई करने की छूट भी दी है। अदालत ने अपने फैसले में यह भी साफ किया है कि अदालत रोज प्रतिदिन के प्रशासनिक कार्यों में भी दखल नहीं दे सकती है। लेकिन कोई प्रशासनिक आदेश असंवैधानिक और मनमाना है तो उसके खिलाफ अपील की जा सकती है। इस मामले में यूनिवर्सिटी ने 23 अक्टूबर को राजेन्द्र सिंह का अलवर के किशनगढ़बास और बद्रीनारायण का नीमकाथाना में तबादला कर दिया था। जिसे याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में चुनौती दी थी।