मुंबई, 26 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कर्नाटक में तीन और डिप्टी सीएम बनाए जाने की मांग उठ रही है। कर्नाटक के कुछ मंत्री वीराशैवा-लिंगायत, SC/ST और माइनॉरिटी कम्युनिटी के नेताओं को डिप्टी सीएम दिए जाने की पैरवी कर रहे हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि इस मामले में कांग्रेस हाईकमान का फैसला फाइनल होगा। फिलहाल कर्नाटक में डिप्टी सीएम के पद पर वोक्कालिगा समुदाय के डीके शिवकुमार हैं। को ऑपरेशन मिनिस्टर केएन राजन्ना, हाउसिंग मिनिस्टर बीजेड जमीर अहमद खान, पब्लिक वर्क्स मिनिस्टर सतीश जारकीहोली समेत कई अन्य नेताओं ने इस हफ्ते राज्य में तीन और डिप्टी सीएम बनाए जाने का मामला उठाया। ये सभी नेता सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं। साथ ही, राज्य में कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि मंत्रियों का तीन नए डिप्टी सीएम की मांग करना सिद्धारमैया कैंप के प्लान का हिस्सा है, ताकि मौजूदा डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को काबू में रखा जा सके और सरकार और पार्टी में उनके प्रभाव को कम किया जा सके। दरअसल पिछले साल मई में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के समय से ऐसी चर्चाएं हैं कि सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद शिवकुमार सीएम पर दावेदारी कर सकते हैं। मई में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीतने के बाद सीएम पद के लिए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार- दोनों ने दावेदारी पेश की थी। कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम पद देते हुए तय किया था कि डीके शिवकुमार राज्य के इकलौते डिप्टी सीएम रहेंगे। यह सीएम पद की दावेदारी छोड़ने और डिप्टी सीएम बनने के लिए डीके शिवकुमार के प्रति कांग्रेस लीडरशिप का कमिटमेंट था।
वहीं, शिवकुमार ने मांगो को लेकर मीडिया से कहा कि कोई कुछ भी बोलता है तो आप मीडिया में ले आते हैं। अगर लोग मीडिया में आकर खुश हो रहे हैं, तो मैं उन्हें मना क्यों करूं। जिसे जो डिमांड करनी है, करता रहे। पार्टी उन्हें अपने हिसाब से जवाब देगी। राज्य में और डिप्टी सीएम बनाने जाने का प्लान है या नहीं, इस सवाल के जवाब में शिवकुमार ने कहा कि आप कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और इनचार्ज जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल से मिलिए या हमारे सीएम से ही पूछ लीजिए।
आपको बता दें, हमारे संविधान में डिप्टी CM जैसी किसी पोस्ट की व्यवस्था नहीं है। वह शपथ भी राज्य के मंत्री के रूप में लेता है। संविधान का अनुच्छेद-164 CM और उनके मंत्रियों की नियुक्ति की बात करता है, लेकिन उसमें डिप्टी CM जैसे पद का जिक्र नहीं है। कोई डिप्टी CM कितना ताकतवर होगा, यह उसे दिए गए विभागों से तय होता है। हां, इतना जरूर है कि वह कैबिनेट मिनिस्टर होता है, इसलिए कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लेता है। हालांकि अगर सरकार बनाने के समय तय फॉर्मूले में काम का बंटवारा तय होता है तो डिप्टी सीएम के पास अधिकार होते हैं। जैसे, कई राज्यों में गृह मंत्रालय डिप्टी सीएम को दे दिया जाता है। इसी तरह ट्रांसफर और पोस्टिंग की जिम्मेदारी भी कई बार डिप्टी सीएम को दे दी जाती है। कर्नाटक में सरकार बनाने के फॉर्मूले में डीके को साफ बताया गया है कि कर्नाटक में कोई भी डिसीजन उनकी सहमति के बिना नहीं लिया जाएगा। सिद्धारमैया को भले ही सीएम बनाया जा रहा है, लेकिन उन्हें हर निर्णय में डिप्टी सीएम से सहमति लेनी ही होगी।