22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि वो आतंक के हर वार का माकूल जवाब देने में सक्षम है। इस हमले में निर्दोष भारतीय जवानों की शहादत के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को भीतर तक हिला कर रख दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक पर वज्र
भारतीय सेना की इस सटीक और साहसिक कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। यह न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी यह संदेश साफ़ था कि भारत अब सहनशीलता नहीं, बल्कि निर्णायक जवाबी रणनीति की नीति अपना चुका है।
भारतीय वायुसेना द्वारा की गई इस एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया, जिससे भारत को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे आतंकी नेटवर्क को भारी क्षति हुई।
पाकिस्तान में बौखलाहट: अफरीदी का नया ड्रामा
भारत की इस जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में बौखलाहट और भ्रम की स्थिति है। खासकर, पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी की प्रतिक्रिया अब दुनिया भर में मज़ाक का विषय बन गई है।
अफरीदी का ‘देशभक्त’ अभिनय
एक वीडियो में शाहिद अफरीदी को पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को गले लगाते और चूमते हुए देखा गया। इस वीडियो में वे असीम मुनीर से कहते हैं:
“आपने दुश्मन को अच्छा सबक सिखाया है।”
विडंबना यह है कि भारत द्वारा किए गए हमलों में पाकिस्तान को ही नुकसान हुआ, लेकिन अफरीदी इसे "सफलता" बताने की कोशिश कर रहे हैं। इस वीडियो को देखकर किसी को भी हंसी आ सकती है क्योंकि पाकिस्तान एक स्पष्ट हार को जश्न के रूप में पेश करने की नाकाम कोशिश कर रहा है।
अफरीदी की दोहरी चाल: भ्रम फैलाने की साजिश
अफरीदी अब खेल से हटकर राजनीतिक-सेना समर्थक चेहरा बन चुके हैं। हाल ही में उन्होंने न सिर्फ असीम मुनीर से मुलाकात की, बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी भेंट की।
इस मुलाकात के बाद अफरीदी ने कहा:
"पूरा देश एकजुट है और हमने दुश्मन को करारा जवाब दिया।"
प्रधानमंत्री ने उन्हें इसके लिए धन्यवाद भी दिया। लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान की सेना और सरकार जनता को भ्रमित करने के लिए एक प्रोपेगैंडा मशीनरी के तौर पर इन पूर्व क्रिकेटरों का इस्तेमाल कर रही है।
सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
अफरीदी का असीम मुनीर को चूमते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। ट्विटर (अब एक्स), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर इस वीडियो को लेकर लोग कटाक्ष और मीम्स बना रहे हैं।
कुछ लोकप्रिय प्रतिक्रियाएं:
-
"जनरल का आशीर्वाद लेने गए अफरीदी?"
-
"जब हार को जीत दिखाना हो तो अफरीदी को भेजो।"
-
"कम से कम स्कोरबोर्ड तो देख लेते अफरीदी साहब!"
इस तरह की प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि पाकिस्तानी जनता भी अफरीदी की बयानबाज़ी को गंभीरता से नहीं ले रही।
क्या पाकिस्तान के पास जश्न मनाने की वजह है?
भारत की एयर स्ट्राइक के बाद:
-
पाकिस्तान को 9 आतंकी शिविरों की क्षति हुई।
-
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की छवि और भी खराब हुई।
-
भारत को वैश्विक समर्थन मिला, जबकि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ा।
ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान आखिर किस बात का जश्न मना रहा है? क्या वह अपनी विफलता पर खुश है या फिर यह एक मजबूरी में किया गया आत्म-संतोष का प्रदर्शन है?
अफरीदी की राजनीति में दिलचस्पी?
यह पहली बार नहीं है जब शाहिद अफरीदी इस तरह के बयान दे रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने भारतीय सेना, कश्मीर मुद्दे और भारत सरकार पर कई बार विवादित टिप्पणियां की हैं। अब उनका यह रुख यह दर्शाता है कि वे राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखते हैं और सेना के समर्थन से आगे बढ़ना चाहते हैं।
पूर्व क्रिकेटर होने के नाते अफरीदी को अपने शब्दों और प्रभाव का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन उनका बर्ताव बताता है कि वे प्रोपेगैंडा फैलाने का मोहरा बन चुके हैं।
भारत का स्पष्ट रुख
भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वो आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। चाहे वह एलओसी के पार कार्रवाई हो या अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करना, भारत हर मोर्चे पर आक्रामकता के साथ डटा है।
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके समर्थकों को यह स्पष्ट संदेश था कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।
निष्कर्ष: प्रोपेगैंडा बनाम हकीकत
शाहिद अफरीदी और पाकिस्तान के सत्ता केंद्रों द्वारा फैलाई जा रही "सफलता" की कहानी न तो सच्चाई पर आधारित है और न ही टिकाऊ है। भारत की स्पष्ट, सटीक और शक्तिशाली जवाबी कार्रवाई ने पाकिस्तान को कूटनीतिक, सैन्य और मनोवैज्ञानिक रूप से झकझोर कर रख दिया है।
जब हकीकत को छिपाने के लिए जश्न मनाना पड़े, तो समझिए कि हार बहुत गहरी है। अफरीदी का असीम मुनीर को चूमना या शहबाज शरीफ से मुलाकात करना एक गहरी हताशा और प्रायोजित भ्रम का प्रतीक है, जिसे अब कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा।