अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। हाल ही में लागू 48 घंटे के अस्थायी युद्धविराम को पाकिस्तान ने शुक्रवार देर रात तोड़ दिया और अफगान सीमा के अंदर हवाई हमले किए। तालिबानियों के अनुसार, ये हमले डूरंड रेखा के पास स्थित पक्तिका प्रांत के कई जिलों में किए गए। इस हवाई हमले में कम से कम 6 लोग मारे गए और 7 अन्य घायल हुए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
हमले का विवरण
स्थानीय मीडिया और तालिबान प्रवक्ता के मुताबिक, पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने अफगानिस्तान के अरगुन और बरमर जिलों में बमबारी की। विस्फोट इतनी तीव्रता से हुए कि कई घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए। तालिबान ने इस हमले को नागरिक इलाकों पर लक्षित हमला बताया और पाकिस्तान पर युद्धविराम तोड़ने और अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। तालिबान प्रवक्ता ने कहा, "हम इस हमले को गंभीरता से ले रहे हैं। यह कार्रवाई निर्दोष नागरिकों के खिलाफ की गई और इससे क्षेत्र में स्थिरता का प्रयास बाधित हुआ है।" उन्होंने यह भी कहा कि अफगान सुरक्षा बलों को अपनी सीमाओं की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
टूटा युद्धविराम
बुधवार को ही दोनों देशों के बीच 48 घंटे का अस्थायी युद्धविराम लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य सीमा पर शांति बनाए रखना था। पाकिस्तान के ताजा हवाई हमलों से यह समझौता पूरी तरह टूट गया। वार्ता के लिए पाकिस्तान ने दोहा में बैठक का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अब बैठक से ठीक पहले तनाव फिर बढ़ गया है। दोहा में आज होने वाली बैठक में अफगानिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री का प्रतिनिधिमंडल और पाकिस्तान की ओर से सेना प्रमुख शामिल होंगे। बैठक का उद्देश्य सीमा पर जारी झड़पों को रोकना और क्षेत्र में स्थिरता बहाल करना है।
पिछली झड़पों का असर
जानकारी के अनुसार, 11 अक्टूबर को अफगान सेना ने पाकिस्तानी चौकियों पर हमला किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच भीषण झड़प हुई। तालिबान का दावा है कि इस कार्रवाई में उन्होंने अब तक 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, जबकि पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि उसके 23 सैनिक मारे गए। पाकिस्तान ने इसके जवाब में तालिबान और उनके सहयोगियों के खिलाफ हवाई और जमीनी कार्रवाई की, जिसमें उसकी रिपोर्ट के अनुसार 200 से अधिक तालिबान लड़ाके मारे गए।
अंतरराष्ट्रीय ध्यान
सीजफायर के उल्लंघन और नागरिकों की मौत के बाद दुनिया भर की निगाहें अब दोहा वार्ता पर टिकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दोहा वार्ता सफल होती है, तो सीमा पर तनाव को कम किया जा सकता है और विस्थापित नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। तालिबान और पाकिस्तान दोनों के लिए यह बैठक निर्णायक है। यह तय करेगा कि क्या दोनों पक्ष सीमा पर संघर्ष को नियंत्रित कर सकते हैं या फिर तनाव और हिंसा का सिलसिला जारी रहेगा। हवाई हमले और युद्धविराम टूटने से यह स्पष्ट हो गया है कि क्षेत्रीय स्थिरता अभी भी नाजुक स्थिति में है। इस स्थिति में दोनों देशों की संवाद प्रक्रिया और युद्धविराम का पालन भविष्य में हजारों नागरिकों की जान और स्थानीय शांति के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।