भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी एक बार फिर अनिश्चितता के घेरे में आ गई है। यमन की जेल में हत्या के आरोप में सज़ा काट रहीं निमिषा को लेकर ताज़ा खबर यह है कि मृतक तलाल अब्दोल महदी के परिजनों ने उन्हें माफ करने से साफ इनकार कर दिया है। इस इनकार के बाद निमिषा की फांसी की सजा टलने या माफ होने की संभावनाएं बेहद कम हो गई हैं।
🔹 क्या है पूरा मामला?
केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन की एक अदालत ने स्थानीय नागरिक तलाल अब्दोल महदी की हत्या के मामले में 2020 में दोषी ठहराया था। आरोप है कि निमिषा ने तलाल की हत्या कर उसके शव के टुकड़े किए थे।
हालांकि, निमिषा का दावा है कि उसने आत्मरक्षा में यह कदम उठाया क्योंकि तलाल उसे प्रताड़ित करता था और उसका पासपोर्ट ज़ब्त कर भारत लौटने से रोक रहा था। लेकिन यमन की अदालत ने इसे पूर्वनियोजित हत्या मानते हुए फांसी की सजा सुनाई।
🔹 माफी से जुड़ी उम्मीदें टूटीं
यमन में लागू इस्लामी कानून (शरिया) के तहत, हत्या के मामलों में पीड़ित परिवार को "क़िसास" यानी बदले की कार्रवाई या "ब्लड मनी" यानी वित्तीय मुआवज़े के बदले माफ करने का अधिकार होता है। निमिषा और उनके परिवार को उम्मीद थी कि ब्लड मनी या सामाजिक-राजनयिक दबाव के चलते मृतक का परिवार माफी दे देगा, जिससे सजा में राहत मिल सकती है।
लेकिन अब तलाल के भाई अब्देल फत्ताह महदी ने सार्वजनिक रूप से स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी तरह की सुलह, ब्लड मनी या माफी के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि "यह एक जघन्य अपराध है, और अपराधी को फांसी दी जानी चाहिए।"
🔹 परिवार की सख्त प्रतिक्रिया
अब्देल फत्ताह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा:
"हमने कंथापुरम कार्यालय या हबीब उमर इब्न हफीज द्वारा तलाल के माता-पिता से किसी भी तरह की मुलाकात या चर्चा पर सख्त पाबंदी लगा दी है। इस्लाम धर्म सत्य का धर्म है, न कि मिथ्याकरण का।"
इस बयान से यह स्पष्ट है कि कोई भी मध्यस्थता या दखल मृतक के परिवार को स्वीकार नहीं है।
🔹 पहले टाली जा चुकी है फांसी
गौरतलब है कि 16 जुलाई 2025 को निमिषा की फांसी की तारीख तय की गई थी, लेकिन एक दिन पहले इसे टाल दिया गया। माना जा रहा था कि यह भारत सरकार और सामाजिक संस्थाओं द्वारा की गई मध्यस्थता का परिणाम था। लेकिन अब ऐसा लगता है कि उस टालने का फैसला भी अस्थायी था, क्योंकि मृतक परिवार की मर्जी के बिना यमन में कोई अंतिम फैसला नहीं हो सकता।
🔹 भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने निमिषा प्रिया की फांसी को रोकने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज किए थे। विदेश मंत्रालय, भारत के यमन स्थित प्रतिनिधि और कुछ सामाजिक संगठन पीड़ित परिवार को ब्लड मनी के बदले माफ़ी के लिए राज़ी करने की कोशिश में लगे थे।
केरल में कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने चंदा इकट्ठा कर "ब्लड मनी" देने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन अब मृतक के परिजनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे पैसे के बदले इंसाफ नहीं बेचेंगे।
🔚 निष्कर्ष:
निमिषा प्रिया की सजा पर उठ रही उम्मीदों को फिलहाल बड़ा झटका लगा है। मृतक के परिवार का माफी से इनकार, यमन की न्याय प्रणाली में सख्ती और धार्मिक कानूनों की प्राथमिकता को दर्शाता है। अब निमिषा की ज़िंदगी पूर्णतः यमनी सरकार की दया या अप्रत्याशित हस्तक्षेप पर निर्भर हो गई है।
भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन इस मामले में क्या अगला कदम उठाते हैं — यह आने वाले कुछ हफ्तों में साफ हो जाएगा। लेकिन फिलहाल, निमिषा और उनके परिवार के लिए यह समय बेहद कठिन और असहायता से भरा है