रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका में एक अहम बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अगुवाई अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की। खास बात यह रही कि इस बैठक में न केवल यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की शामिल हुए, बल्कि फ्रांस, फिनलैंड, इटली, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, यूरोपीय आयोग और नाटो के शीर्ष नेता भी इसमें मौजूद रहे।
बैठक का मकसद था – रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए कूटनीतिक पहल को आगे बढ़ाना और संभावित शांति वार्ता की जमीन तैयार करना।
बैठक से पहले दी गई चेतावनी
बैठक से पहले ट्रंप के करीबी सहयोगी और अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक अहम बयान दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि अगर रूस ने युद्ध समाप्त नहीं किया, तो अमेरिका उन देशों को प्रभावित करेगा जो रूस से सस्ता तेल और गैस खरीदते हैं।
यह बयान स्पष्ट रूप से रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाने की कोशिश थी, क्योंकि ऊर्जा निर्यात पर रूस की निर्भरता बेहद अधिक है। सीनेटर ग्राहम के बयान का सीधा इशारा भारत की ओर भी माना जा रहा है, जो रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदता रहा है।
🇺🇸 ट्रंप की रणनीति और जेलेंस्की से मुलाकात
बैठक के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि,
"बैठक बहुत सफल रही। हमने यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी और युद्ध को खत्म करने की संभावनाओं पर चर्चा की। सभी राष्ट्राध्यक्ष इस दिशा में आशावादी हैं।"
ट्रंप ने आगे बताया कि उन्होंने बैठक के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की और अब कोशिश की जा रही है कि जेलेंस्की और पुतिन के बीच सीधी वार्ता हो। उन्होंने कहा कि इस बहुप्रतीक्षित बैठक में पुतिन, जेलेंस्की और वे स्वयं तीनों मौजूद होंगे।
रूस का जवाब और भारत का जिक्र
हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अलास्का में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि ट्रंप के दोबारा सक्रिय होने के बाद रूस और अमेरिका के बीच व्यापार में 20% वृद्धि दर्ज की गई है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस ने अपना एक बड़ा तेल खरीदार खो दिया है, और वह भारत है। हालांकि भारत की ओर से इस बयान पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह साफ है कि भारत-अमेरिका संबंधों में इस मुद्दे को लेकर खटास बनी रही है।
क्या शांति संभव है?
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इस बैठक के जरिए पहली बार इतने बड़े वैश्विक नेताओं को एक मंच पर लाकर शांति वार्ता की संभावना जताई गई है।
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यदि पुतिन और जेलेंस्की के बीच ट्रंप की मध्यस्थता में बैठक होती है, तो यह रूस-यूक्रेन युद्ध के अंत की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल हो सकती है।
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हालांकि, इस सबके बीच रूस की रणनीति, पश्चिमी देशों की प्रतिबंध नीति और यूक्रेन की संप्रभुता जैसे कई जटिल मुद्दे अभी भी रास्ते में बाधा हैं।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप की इस पहल से रूस-यूक्रेन युद्ध में संभावित विराम की आशा जरूर जगी है, लेकिन यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगा कि युद्ध खत्म होने की कगार पर है। आने वाले दिनों में पुतिन और जेलेंस्की की संभावित बैठक इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है।