दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक, हवाई द्वीप पर स्थित किलाउआ ज्वालामुखी, एक बार फिर सुर्खियों में है। पिछले साल दिसंबर से लगातार सक्रिय यह ज्वालामुखी हर कुछ दिनों में पर्यटकों और वैज्ञानिकों को अचंभित करने वाले नज़ारे पेश कर रहा है। हाल ही में, इसने लावा का एक ऐसा शानदार प्रदर्शन किया, जब लावा की दो चमकदार धाराएँ सतह से निकलती दिखाई दीं, जिसे देखने वालों ने किसी 'शैतान के सिर पर दो सींग' जैसा विस्मयकारी दृश्य बताया।
दिसंबर से 34वां सबसे ऊंचा विस्फोट
बुधवार को किलाउआ में दिसंबर 2024 से अब तक का 34वां बड़ा विस्फोट दर्ज किया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सभी विस्फोट एक ही बड़े भूवैज्ञानिक घटनाक्रम का हिस्सा हैं, जहाँ मैग्मा (ज्वालामुखी के अंदर का गर्म पिघला पत्थर) एक ही मार्ग से सतह पर आ रहा है। इस बार, ज्वालामुखी के दक्षिणी छेद से निकले लावा के फव्वारे लगभग 1,300 फीट (लगभग 400 मीटर) की अविश्वसनीय ऊँचाई तक उछले। यह ऊँचाई न्यूयॉर्क की 100 मंजिला एम्पायर स्टेट बिल्डिंग से भी अधिक है। विस्फोट लगभग छह घंटे तक चला और फिर शांत हो गया।
राहत की बात यह है कि ज्वालामुखी से निकला सारा लावा हवाई वोल्केनो नेशनल पार्क के अंदर ही क्रेटर (गड्ढे) में समा गया। इससे आसपास की किसी भी इमारत या रिहायशी इलाके को कोई खतरा नहीं पहुंचा है। पार्क में आने वाले पर्यटक अब भी इन विस्मयकारी दृश्यों को सीधे देख सकते हैं, जबकि जो लोग दूर हैं, वे अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के लाइव स्ट्रीम के माध्यम से तीन अलग-अलग कैमरों से इन नजारों का अनुभव कर सकते हैं।
लावा फव्वारों के पीछे का विज्ञान
किलाउआ का यह नजारा भले ही जादुई लगे, लेकिन इसके पीछे की प्रक्रिया विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक है। ज्वालामुखी के हलेमाऊमाऊ क्रेटर के नीचे एक विशाल मैग्मा कक्ष है। यह कक्ष पृथ्वी के अंदर से प्रति सेकंड लगभग 5 क्यूबिक यार्ड (3.8 क्यूबिक मीटर) मैग्मा ग्रहण कर रहा है। जैसे ही यह कक्ष गुब्बारे की तरह फूलता है, यह ऊपरी कक्ष में मैग्मा को धकेलता है। यह गर्म, पिघला हुआ पदार्थ फिर दरारों के माध्यम से संकरे पाइप जैसे छेदों से सतह पर आता है।
लावा के इतने ऊँचे फव्वारे इसलिए बनते हैं क्योंकि मैग्मा में बड़ी मात्रा में गैसें भरी होती हैं। जब मैग्मा संकरे वेंट से ऊपर धकेला जाता है, तो गैसें तेजी से फैलती हैं और फट जाती हैं। यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह होती है, जैसे शैंपेन की बोतल को हिलाने के बाद उसका ढक्कन खोलने पर दबाव से झाग तेजी से बाहर निकलता है। हवाई वोल्केनो ऑब्जर्वेटरी के वैज्ञानिक-इन-चार्ज केन हॉन बताते हैं कि वैज्ञानिक सेंसरों की मदद से मैग्मा कक्ष के फूलने और सिकुड़ने की निगरानी करके विस्फोट के समय का अनुमान लगा सकते हैं।
दो सदियों में चौथी ऐसी गतिविधि
वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले 200 सालों में किलाउआ ने इस तरह के ऊंचे लावा फव्वारों का सिलसिला चौथी बार दिखाया है। यह पैटर्न पहले 1959 और 1969 में देखा गया था। तीसरी बार यह गतिविधि 1983 में शुरू हुई थी, जो 35 साल तक चली थी। वैज्ञानिकों को अभी यह नहीं पता है कि यह वर्तमान विस्फोट पैटर्न कब बदलेगा। यह संभव है कि मैग्मा का दबाव बढ़ने से नीचे एक नया छेद खुल जाए और लावा लगातार बहने लगे, जैसा कि 1983 में हुआ था, या फिर मैग्मा की आपूर्ति कम होने पर यह गतिविधि थम जाए। फिलहाल, किलाउआ दुनिया के सबसे बड़े द्वीप हवाई पर लगातार भूवैज्ञानिक शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है।