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कंगाल पाकिस्तान ने ड्रैगन के सामने फिर फैलाए हाथ, भारत से तनातनी के बीच क्या लोन ट्रैप में फंसेगा पड़ोसी मुल्क?

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Posted On:Monday, April 28, 2025

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत के सख्त तेवरों से पाकिस्तान में खौफ का माहौल है। पाकिस्तान को आशंका है कि भारत उसके खिलाफ कोई बड़ा एक्शन ले सकता है। इसी डर के चलते पाकिस्तान के नेता बार-बार परमाणु युद्ध की गीदड़भभकी दे रहे हैं। सीमा पर भी दोनों देशों के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं।

लेकिन इन सबके बीच पाकिस्तान के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी हो गई है — उसकी डांवाडोल होती आर्थिक स्थिति। भारत के दबाव और आंतरिक संकट के चलते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है। इसी कारण पाकिस्तान अब अपने मित्र देशों से कर्ज मांगने के लिए मजबूर हो गया है।

पाकिस्तान ने चीन से मांगा 10 अरब युआन का कर्ज

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने अपने सबसे खास दोस्त चीन से 10 अरब युआन (करीब 11,724 करोड़ रुपये) का कर्ज देने की गुहार लगाई है। पाकिस्तान की इस हालत ने उसकी अंतरराष्ट्रीय साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने खुद इस बात की पुष्टि की है। वाशिंगटन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (WB) की बैठकों के दौरान रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में औरंगजेब ने बताया कि पाकिस्तान ने चीन से मौजूदा स्वैप लाइन को 10 अरब युआन तक बढ़ाने की अपील की है। इसके अलावा पाकिस्तान को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक वह ‘पांडा बॉन्ड’ भी लॉन्च कर देगा, जिससे उसे अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिल सके।

क्या होती है स्वैप लाइन?

स्वैप लाइन दो देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच किया गया एक विशेष समझौता होता है, जिसके तहत वे एक-दूसरे की मुद्रा का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करना और नकदी संकट के समय आर्थिक स्थिरता बनाए रखना होता है।

पाकिस्तान के पास पहले से ही चीन के साथ 30 अरब युआन की स्वैप लाइन है। अब पाकिस्तान इस सीमा को और बढ़ाने की मांग कर रहा है ताकि अपनी बिगड़ती वित्तीय हालत को कुछ समय के लिए संभाला जा सके। लेकिन जानकारों का कहना है कि बार-बार कर्ज मांगने से पाकिस्तान की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिति पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ेगा।

कर्ज के दलदल में फंसा पाकिस्तान

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने चीन से कर्ज की मांग की हो। इससे पहले भी चीन ने पाकिस्तान को 10 अरब युआन का कर्ज दिया था। पाकिस्तान पर पहले से ही चीन का लगभग 30 अरब युआन यानी करीब 35,172 करोड़ रुपये का भारी कर्ज बकाया है। इसके अलावा पाकिस्तान पर IMF, सऊदी अरब, और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का भी बड़ा कर्ज है।

मौजूदा समय में पाकिस्तान गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। देश में महंगाई चरम पर है, विदेशी मुद्रा भंडार बेहद कम हो गया है और औद्योगिक उत्पादन में भी भारी गिरावट आई है। कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान बार-बार नए कर्ज ले रहा है, जिससे वह धीरे-धीरे आर्थिक रूप से और ज्यादा कमजोर होता जा रहा है।

आतंकवाद छोड़ने का नाम नहीं ले रहा पाकिस्तान

आर्थिक बर्बादी के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देने से बाज नहीं आ रहा है। भारत ने कई बार विश्व मंच पर इस बात को उजागर किया है कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को पनाह देता है और उन्हें बढ़ावा देता है। पहलगाम आतंकी हमला इसका ताजा उदाहरण है।

भारत के सख्त कदमों के बाद पाकिस्तान को न केवल कूटनीतिक मोर्चे पर झटका लगा है, बल्कि उसकी आंतरिक कमजोरी भी खुलकर सामने आ गई है। आने वाले समय में पाकिस्तान के सामने आर्थिक संकट और गहराने के पूरे आसार हैं। अगर पाकिस्तान आतंकवाद को छोड़कर आर्थिक विकास पर ध्यान नहीं देता, तो उसकी स्थिति और बदतर हो सकती है।


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