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पति पत्नी बन जिंदगी बिताई, अब निकले बहन-भाई, DNA टेस्ट ने बदल दिया रिश्ता

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Posted On:Tuesday, April 1, 2025

ब्रिटेन से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने पूरे देश को हैरान कर दिया है। एक दंपति, जो सालों से पति-पत्नी के रूप में रह रहे थे, अचानक यह जानकर सकते में आ गए कि वे असल में सौतेले भाई-बहन हैं। यह खबर सुनकर लोग आश्चर्य में पड़ गए कि क्या यह संभव है कि पति-पत्नी को वर्षों तक यह न पता चले कि वे भाई-बहन हैं? आइए जानते हैं इस अनोखे मामले की पूरी कहानी।

स्वास्थ्य समस्या से शुरू हुआ खुलासा

विक्टोरिया नाम की महिला को कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते उन्होंने डॉक्टर की सलाह पर डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया। इस परीक्षण के दौरान उन्होंने अपने जैविक पिता की खोज शुरू की। रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई कि विक्टोरिया का जन्म कृत्रिम गर्भाधान (आईवीएफ) के जरिए हुआ था। यह उनके लिए एक चौंकाने वाला खुलासा था, लेकिन इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ अभी आना बाकी था।

पति ने भी कराया डीएनए टेस्ट

जब विक्टोरिया को यह पता चला कि उनका जन्म आईवीएफ तकनीक से हुआ है, तो उन्होंने अपने पति से भी डीएनए टेस्ट कराने का आग्रह किया। उनके पति ने भी जांच कराने का फैसला किया और जो खुलासा हुआ, उसने सभी को सकते में डाल दिया। डीएनए टेस्ट के नतीजे बताते थे कि उनके पति का भी जन्म कृत्रिम गर्भाधान के जरिए हुआ था और उनके गर्भाधान में भी वही डॉक्टर शामिल था जिसने विक्टोरिया का गर्भाधान किया था।

पति-पत्नी निकले सौतेले भाई-बहन

रिपोर्ट्स से साफ हो गया कि विक्टोरिया और उनके पति का जैविक पिता एक ही व्यक्ति था। यानी दोनों सौतेले भाई-बहन थे। जब इस सच्चाई का पता चला, तो यह उनके लिए एक बड़ा सदमा था। उनका रिश्ता वर्षों से बहुत मजबूत था और वे हाई स्कूल (10वीं कक्षा) से एक-दूसरे के प्यार में थे। लेकिन इस खुलासे के बाद उनका रिश्ता एक असमंजस की स्थिति में आ गया।

येल फर्टिलिटी क्लिनिक पर उठे सवाल

इस घटना ने केवल इस जोड़े के रिश्ते को ही नहीं बल्कि पूरे प्रजनन उद्योग को भी कटघरे में खड़ा कर दिया। विक्टोरिया को यह पता चला कि उनकी मां ने गर्भधारण के लिए येल फर्टिलिटी क्लिनिक का सहारा लिया था। इसी तरह, उनके पति की मां ने भी इसी क्लिनिक से आईवीएफ तकनीक के माध्यम से गर्भधारण किया था। यह खुलासा होने के बाद फर्टिलिटी क्लिनिक की नैतिकता पर सवाल उठने लगे।

रिश्ते में आई उलझन

इस सच्चाई को जानने के बाद विक्टोरिया और उनके पति दोनों के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया कि वे अपने रिश्ते को आगे बढ़ाएं या अलग हो जाएं। इस स्थिति ने न केवल उन्हें मानसिक रूप से झकझोर कर रख दिया, बल्कि उनके परिवार और दोस्तों को भी गहरे सदमे में डाल दिया। उनके लिए यह तय करना बेहद कठिन हो गया कि अब वे इस रिश्ते को किस तरह आगे ले जाएं।

आईवीएफ तकनीक से जुड़े नैतिक सवाल

इस मामले ने आईवीएफ और प्रजनन तकनीकों को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इस तकनीक से जन्मे बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि की जांच कैसे की जाए, यह एक महत्वपूर्ण सवाल बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों से बचने के लिए फर्टिलिटी क्लीनिक को अधिक पारदर्शिता बरतनी चाहिए और दान किए गए शुक्राणु या अंडाणुओं का रिकॉर्ड सुरक्षित रखना चाहिए।

निष्कर्ष

यह घटना विज्ञान की चमत्कारी उपलब्धियों और इससे जुड़े संभावित खतरों दोनों की ओर इशारा करती है। विक्टोरिया और उनके पति की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्रजनन तकनीक के बढ़ते उपयोग के बावजूद, इससे जुड़े नैतिक और भावनात्मक पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस मामले से सीख लेते हुए, जरूरी है कि भविष्य में आईवीएफ से जुड़े नियमों को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जाए ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।


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