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भारत-पाक संघर्ष ट्रंप का नया खुलासा, 7 की बजाय अब 8 लड़ाकू विमानों को गिराने का किया दावा

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Posted On:Thursday, November 6, 2025

कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने जिस तरह पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया था, वह घटना भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का एक बड़ा उदाहरण बनी हुई है। हालांकि, यह संघर्ष एक बार समाप्त हो चुका है, लेकिन अमेरिका में व्हाइट हाउस के गलियारों में इसकी चर्चा और दावे अभी तक चल रहे हैं। खासकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बयानों के चलते लगातार सुर्खियों में रहे हैं।

ट्रंप के लगातार बदलते 'आँकड़े'

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारत-पाक संघर्ष को शांत कराने और एक परमाणु युद्ध टालने में अपनी मध्यस्थता को लेकर सैकड़ों बार दावा कर चुके हैं। इन दावों में उन्होंने दोनों देशों के बीच लड़ाकू विमानों को भी गिराए जाने की बात कही है। हैरानी की बात यह है कि ट्रंप का यह दावा हर बार एक नए आँकड़े के साथ सामने आता रहा है, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं।

पहला दावा: शुरुआती बयानों में ट्रंप ने दावा किया था कि इस संघर्ष में 5 विमानों को गिराया गया।

दूसरा दावा: कुछ ही दिनों बाद, उन्होंने इस संख्या को बढ़ाकर 7 विमानों को गिराने का दावा किया।

नवीनतम दावा: अब, ट्रंप ने अपनी मध्यस्थता की कहानी सुनाते हुए गिराए गए विमानों की संख्या को बढ़ाकर 8 कर दिया है।

ट्रंप के ये बदलते आंकड़े और अतिरंजित दावे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि वे भारत-पाक तनाव को अपनी "टैरिफ धमकी" और व्यक्तिगत कूटनीति की सफलता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।

'टैरिफ धमकी' बनाम सैन्य अधिकारियों की सीधी बातचीत

ट्रंप ने बार-बार यह कहा है कि उनकी "टैरिफ धमकी" और उनकी निजी मध्यस्थता ने दोनों देशों के बीच तनाव को कम किया और एक संभावित परमाणु युद्ध को टाल दिया। उनका दावा रहा है कि संघर्ष के दौरान उन्होंने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं से बात की और युद्ध रोकने का दबाव बनाया। हालांकि, भारत ने इस अमेरिकी दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। भारत सरकार ने लगातार यह स्पष्ट किया है कि संघर्ष विराम या तनाव में कमी किसी अमेरिकी हस्तक्षेप या धमकी के कारण नहीं हुई थी। संघर्षविराम की स्थिति दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की सीधी बातचीत (Direct communication between military officials) के बाद बनी थी, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं थी। भारत का यह स्पष्ट रुख अमेरिका के उन दावों को नकारता है, जो उसकी मध्यस्थता को अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की बड़ी सफलता के रूप में पेश करने का प्रयास करते हैं।

'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा किया गया 'ऑपरेशन सिंदूर' एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर लगाम कसना था। भारत की इस जवाबी कार्रवाई ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया था। इस ऑपरेशन के बाद उपजा तनाव ही वह पृष्ठभूमि थी, जिसे राष्ट्रपति ट्रंप अपनी 'सफलता की कहानी' के रूप में पेश करते रहे हैं। यह घटनाक्रम न केवल भारत-पाक संबंधों की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वैश्विक शक्तियाँ, विशेषकर अमेरिका, किस प्रकार क्षेत्रीय संघर्षों का उपयोग अपनी विदेश नीति की उपलब्धियों को बढ़ाने के लिए करती हैं, भले ही जमीनी हकीकत कुछ और हो। व्हाइट हाउस के लिए, पहलगाम के बाद का संघर्ष शायद अपनी 'मध्यस्थता की शक्ति' के प्रदर्शन का एक ऐसा मौका बन गया है, जिसे वह राजनीतिक मंच पर भुनाना नहीं भूल रहा।


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