अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने टैरिफ नीतियों और आर्थिक दवाब की रणनीति को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने चीन पर टैरिफ की समय सीमा 90 दिनों के लिए बढ़ा दी है, जिससे वैश्विक स्तर पर व्यापारिक तनाव फिलहाल कुछ समय के लिए टल गया है। हालांकि, भारत को लेकर ट्रंप के बयानों ने नई कूटनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।
🔹 टैरिफ डेडलाइन बढ़ाने का फैसला
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ट्रंप ने चीन पर लगने वाले 145% टैरिफ को लागू करने की डेडलाइन को मध्यरात्रि से कुछ घंटे पहले टाल दिया। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चीन और अमेरिका के बीच जिनेवा और स्टॉकहोम में व्यापार वार्ताएं चल रही हैं और दोनों देश स्थायी समाधान की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रंप ने कहा,
“चीन के साथ हमारी बातचीत अच्छी चल रही है। हम देखना चाहते हैं कि इसका क्या नतीजा निकलता है।”
🔹 भारत पर 50% टैरिफ की चेतावनी
इस बीच, ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि भारत “अभी भी अमेरिकी कंपनियों के लिए अवरोध खड़ा करता है” और “टैरिफ की दरें अनुचित रूप से ऊंची हैं।” हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बयान पर तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक मतभेद आने वाले समय में दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।
🔹 चीन के साथ संबंधों में नरमी
ट्रंप ने अपने हालिया बयानों में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों की तारीफ की और कहा कि "हम चीन के साथ व्यापार पर बेहतर समझौते की ओर बढ़ रहे हैं।"
अप्रैल 2025 में अमेरिका द्वारा चीन पर 145% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद चीन ने 125% जवाबी टैरिफ की धमकी दी थी। हालांकि मई में जिनेवा में हुई एक बैठक के दौरान दोनों देशों ने अस्थायी रूप से अपने-अपने टैरिफ घटाने पर सहमति जताई।
अब अमेरिका ने अपने टैरिफ 145% से घटाकर 30% कर दिए हैं जबकि चीन ने भी 125% से घटाकर 10% तक लाने की बात मानी है।
🔹 वैश्विक बाजारों को राहत
टैरिफ की समयसीमा बढ़ने के फैसले के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भी सकारात्मक असर देखने को मिला। अमेरिका और चीन की सुलह की संभावना के चलते निवेशकों में आशावाद बढ़ा है। कई अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संगठनों ने इस फैसले की सराहना की है और इसे वैश्विक मंदी के खतरे से बचाव की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।
🔹 ट्रंप की रणनीति: मजबूरी या राजनीति?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ फैसले राजनीतिक और आर्थिक मजबूरियों का नतीजा हैं। अमेरिका के भीतर रिपब्लिकन व्यापारिक लॉबी, किसानों और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने टैरिफ के दुष्प्रभावों को लेकर चेतावनी दी थी। साथ ही, 2026 के चुनावों की तैयारी में लगे ट्रंप अब वैश्विक व्यापार युद्ध से बचने की रणनीति अपना रहे हैं।
🔚 निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम फिलहाल वैश्विक व्यापार व्यवस्था को राहत देने वाला साबित हो सकता है, लेकिन भारत और चीन दोनों के साथ अमेरिकी संबंधों में अस्थिरता अभी भी बनी हुई है। जहां एक ओर ट्रंप चीन के साथ संबंध सुधारते दिख रहे हैं, वहीं भारत के खिलाफ कड़े बयानों से यह साफ है कि आने वाले महीनों में नई आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।
दुनिया की नजर अब आने वाले 90 दिनों पर टिकी है – क्या यह वास्तविक समाधान की ओर ले जाएगा या सिर्फ एक अस्थायी विराम है?