मुंबई, 20 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह ने बुधवार को इजराइल को चेतावनी दी है। नसरहल्लाह ने कहा कि अगर इजराइल के साथ जंग हुई तो वहां एक भी जगह सुरक्षित नहीं बचेगी। इसके अलावा नसरल्लाह ने साइप्रस को भी हमले की धमकी दी है। नसरल्लाह ने कहा कि अगर इजराइल ने हमला किया तो हम जमीन, हवा और पानी हर तरफ से उन पर अटैक करेंगे। इससे भूमध्य सागर भी खतरे में पड़ सकता है। हिजबुल्लाह बिना किसी नियम और सीमा के लड़ने को तैयार है। हमारे दुश्मन जानते हैं कि उनकी कोई भी जगह हमारे रॉकेट से बच नहीं पाएगी। वहीं साइप्रस को जंग की धमकी देते हुए नसरहल्लाह ने कहा कि उन्होंने जंग के दौरान इजराइल को अपने एयरपोर्ट और मिलिट्री बेस इस्तेमाल करने की इजाजत दी है। अगर उसने लेबनान पर हमले में भी इजराइल की मदद की हिजबुल्लाह उसे जंग का हिस्सा मानेगा। इसके बाद उसे भी हिजबुल्लाह के हमलों को झेलना पड़ेगा। नसरल्लाह के भाषण के बाद साइप्रस के राष्ठ्रपति ने कहा है कि उनका देश किसी भी तरह से जंग का हिस्सा नहीं है। साइप्रस जंग नहीं बल्कि उसका हल निकालने की मुहिम में शामिल रहा है।
तो वहीं, दूसरी तरफ इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) के प्रवक्ता एडमिरल डैनियल हगारी ने कहा है कि हमारी जंग हमास को खत्म करने के मकसद के लिए काफी नहीं है। हमास के खात्मे की सोच इजराइलियों की आंख में धूल झोंकने जैसा है। हमास एक विचारधारा है। यह फिलिस्तीनियों के दिल में बसी हुई है। जिसे भी लगता है कि वह हमास को मिटा सकता है, वो गलत है। हगारी ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने जल्द कोई और विकल्प नहीं निकाला तो हमास हमेशा हमारे बीच बना रहेगा। इसके जवाब में नेतन्याहू के ऑफिस ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा कि जंग में हमारा एक लक्ष्य हमास की सैन्य क्षमता को खत्म करना है। IDF इसके लिए प्रतिबद्ध है। इसके इतर दिया कोई भी बयान लक्ष्य से भटकाने जैसा माना जाएगा। इससे पहले 17 जून को नेतन्याहू ने हमास के खातमे के लिए बनी वॉर कैबिनेट को भंग कर दिया था। कैबिनेट 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद 11 अक्टूबर को बनाई गई थी। नेतन्याहू ने कैबिनेट भंग करते हुए कहा था कि हमने कई ऐसे फैसले लिए थे जिनसे सेना सहमत नहीं थी। दरअसल, नेतन्याहू के नेतृत्व में बनी वॉर कैबिनेट में काफी दिनों से मतभेद चल रहे थे। इसके चलते कैबिनेट के मेंबर बेनी गांट्ज ने इस्तीफा भी दे दिया था। उन्होंने इसकी वजह गाजा युद्ध में होस्टेज डील को लेकर PM नेतन्याहू के गलत रवैये को बताया था। गांट्ज ने आरोप लगाया था कि नेतन्याहू की वजह से हमास का खात्मा नहीं हो पा रहा है। इसलिए वो वॉर कैबिनेट छोड़ रहे हैं।