पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल की घटनाओं के मद्देनजर भारत और कनाडा के बीच बिगड़ते संबंधों पर सोमवार को चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि कनाडा सरकार राजनीतिक लाभ के लिए अलगाववादी और आतंकवादी आंदोलन को संरक्षण दे रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा, "क्या चुनावी मजबूरियां दशकों पुराने रिश्तों, राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और सदियों पुरानी संसदीय परंपराओं से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं? ट्रूडो के लिए तो ऐसा ही लगता है।" उनका यह बयान भारत-कनाडा संबंधों में हाल ही में आए संकट के बीच आया है, जो कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर खालिस्तानी हमले से और बढ़ गया है।
अलगाववाद को समर्थन देने में कनाडा की भूमिका पर चिंता। अमरिंदर सिंह ने देश में तेजी से बढ़ते सिख उग्रवाद के प्रति कनाडा के दृष्टिकोण और ट्रूडो द्वारा इस पर आंखें मूंद लेने के तरीके पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने याद किया, "ट्रूडो ने अपने रक्षा मंत्री को एक सिख के रूप में पंजाब भेजा था, मैंने उनसे मिलने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह विश्व सिख संगठन के सक्रिय सदस्य थे, जो उस समय खालिस्तानी आंदोलन का मूल निकाय था, जिसकी अध्यक्षता तब उनके पिता करते थे।" सिंह ने यह भी बताया, "जब ट्रूडो अमृतसर आए थे, तो मैंने उन्हें 20 से अधिक प्रमुख व्यक्तियों की सूची सौंपी थी जो खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे, उनमें से कुछ उनके कैबिनेट सदस्य थे, जिनमें से एक उनके बगल में बैठा था।" उन्होंने आगे आरोप लगाया कि ट्रूडो से वादा किया गया था कि वे इन शिकायतों पर गौर करेंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला, "हमारी मुलाकात के बाद से, ये नापाक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। कनिष्क बम विस्फोट अब उनके दिमाग से निकल चुका है और साथ ही पंजाब को अस्थिर करने वाली अन्य हरकतें भी।