मुंबई, 12 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को G20 समिट की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। अब इस पर तुर्किये ने आपत्ति जाहिर की है। तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा है कि उनके बिना कोई कॉरिडोर नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले किसी भी ट्रैफिक को तुर्किये से होकर गुजरना ही होगा। भारत, UAE, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय यूनियन सहित कुल 8 देशों के इस प्रोजेक्ट का फायदा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलेगा।
आपको बता दें, मुंबई से शुरू होने वाला यह नया कॉरिडोर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विकल्प होगा। यह कॉरिडोर 6 हजार किमी लंबा होगा। इसमें 3500 किमी समुद्र मार्ग शामिल है। कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में करीब 40% समय की बचत होगी। अभी भारत से किसी भी कार्गो को शिपिंग से जर्मनी पहुंचने में 36 दिन लगते हैं, इस रूट से 14 दिन की बचत होगी। यूरोप तक सीधी पहुंच से भारत के लिए आयात-निर्यात आसान और सस्ता होगा।
वहीं, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि दिल्ली में जी-20 समिट में एक बार फिर अमेरिका ने अपनी पुरानी योजना को आगे बढ़ाया है। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने इस योजना के विस्तार का खाका पेश किया है। चीन का दुनिया में आइसोलेट करने के मकसद के साथ अमेरिका के इस प्रोजेक्ट को अभी अच्छा रिस्पांस नहीं मिला है। गल्फ और अरब देशों में रेललाइन का वादा किया गया है, लेकिन अमेरिका के पास वास्तविक इरादा और क्षमता नहीं है। अमेरिका ने एक बार फिर साबित किया है कि बोला ज्यादा गया, काम कम हुआ है।