दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल दिवाली 12 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी। जहां एक ओर दिवाली का धार्मिक रूप से बहुत महत्व माना जाता है, वहीं दूसरी ओर अमावस्या तिथि के दिन पड़ने के कारण ज्योतिष शास्त्र में भी इसका विशेष स्थान है। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने की परंपरा है। दिवाली पूजा के दौरान लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से घर में साल भर बरकत बनी रहती है। दिवाली पूजा से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की आरती नहीं करनी चाहिए। इस बारे में जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स।
दिवाली पर क्यों नहीं करते मां लक्ष्मी की आरती?
- पूजा-पाठ, हवन-यज्ञ, शुभ कार्य आदि में आरती को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आरती (आरती करने के नियम) के बिना धार्मिक कार्य पूरे नहीं होते हैं।
- हिंदू धर्म में नियम है कि जब किसी देवता का आह्वान किया जाता है तो शंख बजाया जाता है और फूल चढ़ाए जाते हैं।
- वहीं, जब किसी देवी-देवता की पूजा पूरी हो जाती है तो उन्हें भोग लगाकर आरती की जाती है।
- आरती हमेशा पूजा के अंत में की जाती है। इसलिए आरती इस बात का प्रतीक है कि पूजा समाप्त हो गई है और देवता चले गए हैं।
- मेहमान के जाते ही हम खड़े हो जाते हैं. इसी प्रकार खड़े होकर आरती की जाती है। फिर देवी-देवता चले जाते हैं।
- दिवाली से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि देवी लक्ष्मी-गणेश की पूजा के बाद उनकी मूर्ति घर में रखनी चाहिए और पूरे साल उनकी पूजा करनी चाहिए।
- फिर अगले वर्ष लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति का विसर्जन करना चाहिए। इससे दिवाली के बाद पूरे साल घर पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। ऐसे में अगर दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की आरती की जाए तो यह इस बात का प्रतीक है कि मां लक्ष्मी घर छोड़कर चली गई हैं.