ताजा खबर

Aaj Ka Panchang: माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि, दिन का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

Photo Source :

Posted On:Saturday, January 18, 2025

18 January 2025 का दैनिक पंचांग / Aaj Ka Panchang: 18 जनवरी 2025 को माघ माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। इस तिथि पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और शोभन योग का संयोग रहेगा। दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो शनिवार को अभिजीत मुहूर्त 12:10-12:52 मिनट तक होगा। राहुकाल सुबह 09:53-11:12 मिनट तक है। चंद्रमा कन्या राशि में मौजूद रहेंगे।

🌕🌞 श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम् 🌞 🌕
------------------------------------------------
🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
🌅पंचांग- 18.01.2025🌅
युगाब्द - 5125
संवत्सर - कालयुक्त
विक्रम संवत् -2081
शाक:- 1946
ऋतु- शिशिर __ उत्तरायण
मास - माघ _ कृष्ण पक्ष
वार - शनिवार
तिथि _ पंचमी अहोरात्र
नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी 14:50:28
योग शोभन 25:14:49*
करण कौलव 18:25:44
चन्द्र राशि - सिंह till 21:27:30
चन्द्र राशि - कन्या from 21:27
सूर्य राशि - मकर

🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
✍️ शनि पंचमी

🍁 अग्रिम (आगामी पर्वोत्सव 🍁

🔅 षट्तिला एकादशी व्रत
. 25 जनवरी 2025
(शनिवार)
🔅 प्रदोष व्रत
. 27 जनवरी 2025
(सोमवार)
🔅 मौनी अमावस व्रत
. 29 जनवरी 2025
(बुधवार)

🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️

‼️🙏जय श्री हरि 🙏‼️

💟 तीन गुरु 💟

बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु दूर दूर से शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, ” स्वामीजी आपके गुरु कौन हैं ?

आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है ?”

महंत शिष्य का सवाल सुन मुस्कुराए और बोले, ” मेरे हजारो गुरु हैं ! यदि मै उनके नाम गिनाने बैठ जाऊ तो शायद महीनों लग जाए। लेकिन फिर भी मै अपने तीन गुरुओं के बारे में तुम्हें अवश्य बताऊंगा ।

मेरा पहला गुरु था एक चोर। एक बार मैं रास्ता भटक गया था और जब दूर किसी गाव में पंहुचा तो बहुत देर हो गयी थी। सब दुकाने और घर बंद हो चुके थे। लेकिन आख़िरकार मुझे एक आदमी मिला जो एक दीवार में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था।

मैंने उससे पूछा कि मैं कहां ठहर सकता हूं, तो वह बोला कि आधी रात गए इस समय आपको कहीं कोई भी आसरा मिलना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन आप चाहें तो मेरे साथ आज की रात ठहर सकते हो। मैं एक चोर हूं और अगर एक चोर के साथ रहने में आपको कोई परेशानी नहीं है तो आप मेरे साथ रह सकते हैं।

मैं उसके साथ एक रात की जगह कुछ दिनों तक रुक गया ! वह हर रात मुझे कहता कि मैं अपने काम पर जाता हूं, आप आराम करो, प्रार्थना करो कि मुझे चोरी में आज अच्छा धन मिले।

जब वह काम से आता तो मैं उससे पूछता की कुछ मिला तुम्हें? तो वह कहता कि आज तो कुछ नहीं मिला पर अगर भगवान ने चाहा तो जल्द ही जरुर कुछ मिलेगा। वह कभी निराश और उदास नहीं होता था, और हमेशा मस्त रहता था। कुछ दिन बाद मैं उसको धन्यवाद करके वापस अपने घर आ गया।

मुझे ध्यान करते हुए सालों-साल बीत गए, तो कई बार ऐसे क्षण आते थे कि मैं बिलकुल हताश और निराश होकर साधना छोड़ लेने की ठान लेता था और तब अचानक मुझे उस चोर की याद आती जो रोज कहता था कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही कुछ जरुर मिलेगा और इस तरह मैं हमेशा अपना ध्यान में लगाता और साधना में लीन रहता।

और मेरा दूसरा गुरु एक कुत्ता था। बहुत गर्मी वाले दिन थे, मैं कही जा रहा था और मैं बहुत प्यासा था, पानी की तलाश में घूम रहा था कि सामने से एक कुत्ता दौड़ता हुआ आया। वह भी बहुत प्यासा था। पास ही एक नदी थी। उस कुत्ते ने आगे जाकर नदी में झांका तो उसे एक और कुत्ता पानी में नजर आया जो की उसकी अपनी ही परछाई थी। कुत्ता उसे देख डर गया। वह परछाई को देखकर भौंकता और पीछे हट जाता, लेकिन बहुत प्यास लगने के कारण वह वापस पानी के पास लौट आता। अंततः, अपने डर के बावजूद वह नदी में कूद पड़ा और उसके कूदते ही वह परछाई भी गायब हो गई। उस कुत्ते के इस साहस को देख मुझे एक बहुत बड़ी सिख मिल गई। अपने डर के बावजूद व्यक्ति को छलांग लगा लेनी होती है। सफलता उसे ही मिलती है जो व्यक्ति डर का साहस से मुकाबला करता है।”

मेरा तीसरा गुरु एक छोटा बच्चा है। मैं एक गांव से गुजर रहा था कि मैंने देखा एक छोटा बच्चा एक जलती हुई मोमबत्ती पास के किसी मंदिर में रखने जा रहा था। मजाक में ही मैंने उससे पूछा की क्या यह मोमबत्ती तुमने जलाई है ?
वह बोला, जी मैंने ही जलाई है। तो मैंने उससे कहा कि एक क्षण था जब यह मोमबत्ती बुझी हुई थी और फिर एक क्षण आया जब यह मोमबत्ती जल गई। क्या तुम मुझे वह स्त्रोत दिखा सकते हो जहां से वह ज्योति आई ?

”वह बच्चा हँसा और मोमबत्ती को फूंख मारकर बुझाते हुए बोला, अब आपने ज्योति को जाते हुए देखा है। कहां गई वह ? आप ही मुझे बताइए।“ “मेरा अहंकार चकनाचूर हो गया, मेरा ज्ञान जाता रहा। और उस क्षण मुझे अपनी ही मूढ़ता का एहसास हुआ। तब से मैंने कोरे ज्ञान से हाथ धो लिए।"

मुझे अपने जीवन में जहाँ से भी कुछ सीखने को मिला मेने उसे ही अपना गुरु समझा।
ज्ञान तो मिल गया, परंतु धारण तब हुआ जब मैंने इसे बाँटना शुरू किया।

हर समय हर ओर से सीखने को तैयार रहना चाहिए । कभी किसी की बात का बुरा नहीं मानना चाहिए, किसी भी इंसान की कही हुई बात को ठंडे दिमाग से एकांत में बैठकर सोचना चाहिए कि उसने क्या कहा और क्यों कहा तब उसकी कही बातों से अपनी की हुई गलतियों को समझे और अपनी कमियों को दूर करें। जीवन का हर क्षण, हमें कुछ न कुछ सीखने का मौका देता है। हमें जीवन में हमेशा एक शिष्य बनकर अच्छी बातों को सीखते रहना चाहिए।

यह जीवन हमें आये दिन किसी न किसी रूप में किसी न किसी गुरु से मिलाता रहता है , यह हम पर निर्भर करता है कि क्या हम उस महंत की तरह एक शिष्य बनकर उस गुरु से मिलने वाली शिक्षा को ग्रहण कर पा रहे हैं कि नहीं..!!

जय जय श्री सीताराम
जय जय श्री ठाकुर जी की
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर, (जयपुर)


आगरा और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. agravocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.