नागा और अघोरी साधुओं में क्या अंतर है? जानें

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अघोरी साधु ये श्मशान घाटों में रहकर साधना करते हैं। यहां अघोरी साधु जीवन और मृत्यु के रहस्यों को जानने के प्रयास में लगे रहते हैं।

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अघोरी साधु सांसारिक मोह माया से दूर रहते हैं। साथ ही, ये अक्सर एक नरमुंड अपने साथ रखते हैं। इसे जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक माना जाता है।

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अघोरी साधु भोलेनाथ के उग्र स्वरूप यानी काल भैरव की पूजा करते हैं। अघोरी आमतौर पर काले वस्त्र पहनते हैं। इसके अलावा, कुछ साधु निर्वस्त्र भी रहते हैं।

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ये अघोरी साधु से अगल जीवन व्यतीत करते हैं। नागा साधु भी भगवान शिव के भक्त होते हैं। लेकिन ये भोलेनाथ के वैरागी रूप की पूजा करते हैं।

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नागा साधु को धर्म का रक्षक माना गया है। ये नग्न रहते हैं और अपने शरीर पर भभूत लगाकर रखते हैं। नागा साधु अपने कठोर तप और शारीरिक शक्ति के लिए जाने जाते हैं।

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नागा साधु अपने अखाड़ों के आश्रम और मंदिरों में रहते हैं। इसके अलावा, कुछ नागा हिमालय और गुफाओं में भी जीवन व्यतीत करते हैं। इन्हें 12 साल की कठिन तपस्या करनी होती है।

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इन दोनों साधुओं का जीवन बहुत मुश्किल होता है। लेकिन इनका रहन-सहन और खान-पीन अलग-अलग होता है। अघोरी मांसाहारी होते हैं और वहीं, नागा साधु मांस और शराब का सेवन नहीं करते हैं।

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