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ज्योति मल्होत्रा से पूछताछ में बड़ा खुलासा, मोबाइल, लैपटॉप से मिलेंगे अहम सुराग

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Posted On:Tuesday, May 20, 2025

हाल ही में ज्योति मल्होत्रा नाम की एक पूर्व सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भारत में गहरी और संगठित साजिश का खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), खुफिया ब्यूरो (IB) और हरियाणा पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा की जा रही जांच में यह सामने आया है कि ज्योति धीरे-धीरे ISI के जासूसी नेटवर्क का हिस्सा बन गई थी और उसने देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है।


ISI जासूसी नेटवर्क का खुलासा

अधिकारियों के अनुसार, ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी से भारत में ISI के छिपे हुए जासूसी नेटवर्क का पता चला है। यह नेटवर्क प्रभावशाली लोगों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के जरिए भारत विरोधी प्रचार और खुफिया जानकारी जुटाने का काम कर रहा था। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर गुप्त तौर पर घुसपैठ करके यह नेटवर्क भारत की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने का प्रयास कर रहा था।

ISI इस नेटवर्क के माध्यम से केवल सूचनाएं इकट्ठा नहीं करता था, बल्कि देश में गलतफहमी और अफवाहें फैलाने, सोशल मीडिया पर गलत सूचनाएं फैलाने का भी काम करता था। इस तरह के ऑपरेशन का मकसद देश के सामरिक हितों को कमजोर करना और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना था।


पूछताछ में बदलते बयान और झूठ

ज्योति मल्होत्रा फिलहाल हिरासत में है, जहां उसकी लगातार पूछताछ हो रही है। जांच एजेंसियों के अनुसार, वह अपने बयान बार-बार बदल रही है और कुछ जानकारियों को छुपा रही है। खासकर उसके पाकिस्तान स्थित खुफिया एजेंट दानिश के साथ रिश्ते को लेकर उसने कई बार झूठ बोला है। दानिश, जो पाकिस्तान के उच्चायोग में तैनात था, अब पर्सोना नॉन ग्रेटा घोषित होकर भारत से निष्कासित कर दिया गया है। इसके अलावा दानिश कथित रूप से इंडोनेशिया में भी गुप्त ऑपरेशन चलाता था।

ज्योति ने अपने मोबाइल फोन से दानिश के साथ हुई कई संवेदनशील बातचीत मिटाने की कोशिश की। इनमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और हिसार में हुए ‘ब्लैकआउट’ से जुड़ी गुप्त जानकारियां थीं। जांच में दो मोबाइल फोन और एक लैपटॉप को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है ताकि मिटाए गए डेटा को पुनः प्राप्त किया जा सके।


संदिग्ध यात्राएं और असली मकसद

ज्योति की कई विदेशी और देश के अंदर की यात्राएं जांच के केंद्र में हैं। उसने सार्वजनिक तौर पर बताया कि ये यात्राएं धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए थीं, लेकिन जांच में यह सामने आया है कि वह कई बार पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा जैसे संवेदनशील इलाकों में भी गई थी, जो आतंकवाद और सुरक्षा खतरे के लिए जाना जाता है।

सूत्र बताते हैं कि ज्योति की मुलाकात दानिश से ‘हरकीरत’ नाम के एक व्यक्ति ने करवाई थी। धीरे-धीरे ज्योति, जो पहले केवल एक YouTuber और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर थी, ISI एजेंडा चलाने वाली जासूस बन गई। उसने स्वीकार किया कि वह छह पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के सीधे संपर्क में थी। उसे देश के संवेदनशील क्षेत्रों के फोटो, वीडियो और महत्वपूर्ण सूचनाएं इकट्ठा करने का काम सौंपा गया था।


अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की जांच

ज्योति की विदेश यात्राओं का भी एजेंसियां गहराई से विश्लेषण कर रही हैं। अब तक वह पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, दुबई, थाईलैंड, नेपाल और भूटान की यात्रा कर चुकी है। विशेषकर पाकिस्तान और चीन की यात्राएं संदिग्ध मानी जा रही हैं क्योंकि इन्हें अन्य विदेशी एजेंटों से समन्वय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

पाकिस्तान में उसकी 14 दिनों की यात्रा पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं। उसने दावा किया कि उसने वहां स्थानीय समुदायों का भ्रमण किया और उनके वीडियो बनाए, लेकिन एजेंसियों को शक है कि इस दौरान उसने गुप्त बैठकों में हिस्सा लिया, निगरानी की और संवेदनशील जानकारी का आदान-प्रदान भी किया।

जांच के तहत कॉल डिटेल्स, ट्रैवल लॉग, वीडियो फुटेज और गवाहों के बयानों का मिलान किया जा रहा है ताकि ज्योति की गतिविधियों का सटीक पता चल सके।


जांच एजेंसियों की कार्रवाई

NIA, IB और हरियाणा पुलिस मिलकर ज्योति की पूछताछ कर रही हैं। मोबाइल और लैपटॉप से मिले डेटा की फॉरेंसिक जांच हो रही है। इस मामले में अन्य संदिग्धों की पहचान भी की जा रही है, जिनके संपर्क में ज्योति रही या जो इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।

यह जांच न केवल ज्योति तक सीमित है, बल्कि पूरे ISI नेटवर्क के खिलाफ भी बड़े पैमाने पर कार्रवाई की तैयारी हो रही है। एजेंसियां इस जासूसी साजिश के अन्य कड़ियों को पकड़ने के लिए लगातार काम कर रही हैं ताकि देश की सुरक्षा को खतरे से बचाया जा सके।


निष्कर्ष

ज्योति मल्होत्रा केस में ISI की भारत में जासूसी और खुफिया नेटवर्क का खुलासा देश के लिए एक गंभीर चेतावनी है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विदेशी एजेंसियों की ऐसी घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।

जांच एजेंसियों की सतर्कता और तेज कार्रवाई के चलते इस जाल को समय रहते पकड़ा गया है। ऐसे मामलों में जनता और मीडिया का संयम बनाए रखना जरूरी है ताकि जांच प्रक्रिया पर कोई असर न पड़े।

देश की सुरक्षा और अखंडता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एजेंसियों को हर संभव संसाधन और समर्थन मिलना चाहिए ताकि ऐसी साजिशों को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सके।


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