बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्य में एनडीए और महागठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का राजनीतिक सिलसिला जारी है। सभी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने में व्यस्त हैं। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो दिवसीय बिहार दौरे की घोषणा ने सियासी हलचल तेज कर दी है। अमित शाह 30 मार्च को गोपालगंज में एक विशाल रैली को संबोधित करेंगे। इस रैली को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए की ओर से महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
अमित शाह के दो दिवसीय दौरे में क्या होगा खास?
केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ रणनीतिकार अमित शाह 29-30 मार्च को बिहार के दौरे पर रहेंगे। 29 मार्च को पटना स्थित भाजपा मुख्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों को भाग लेने के लिए कहा गया है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनावों में एनडीए की जीत सुनिश्चित करना है।
बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा होगी?
इस महत्वपूर्ण बैठक में चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें शामिल हैं:
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बिहार में एनडीए के कमजोर क्षेत्र और वहां अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति।
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पिछली बार चिराग पासवान की पार्टी द्वारा एनडीए को हुए नुकसान की भरपाई के उपाय।
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प्रशांत किशोर की पार्टी के संभावित प्रभाव और उससे निपटने की रणनीति।
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बिहार में केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार और इनका चुनावी लाभ।
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विपक्ष द्वारा किए गए चुनावी वादों की वास्तविकता और एनडीए की प्रतिक्रिया।
एनडीए नेताओं की मुख्यमंत्री आवास पर बैठक
29 मार्च की बैठक के बाद, 30 मार्च को दोपहर 3 बजे मुख्यमंत्री आवास पर एनडीए के शीर्ष नेताओं की एक और महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जेडीयू के वरिष्ठ नेता, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा सहित अन्य सहयोगी दलों के प्रमुख नेता शामिल होंगे।
सीट बंटवारे पर भी होगी चर्चा
बैठक में सीट बंटवारे का मुद्दा सबसे अहम रहेगा। पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने अकेले 134 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिससे एनडीए को नुकसान हुआ था। इस बार उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए में नए सहयोगी हैं, इसलिए उन्हें उचित सीटें देना एक चुनौती होगी।
पिछले चुनाव में एनडीए की सीटें कितनी थीं?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों में से जेडीयू ने 115, भाजपा ने 110, जीतन राम मांझी की हम पार्टी ने 7 और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार मुकेश सहनी एनडीए से बाहर हैं और महागठबंधन में शामिल हो गए हैं। इसलिए 30 मार्च को होने वाली बैठक में सीट बंटवारे पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
निष्कर्ष
अमित शाह का यह दौरा बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति को और स्पष्ट करेगा। भाजपा और जेडीयू के बीच बेहतर तालमेल और सहयोग से चुनाव में जीत की संभावना बढ़ सकती है। इस दौरे से यह भी साफ हो जाएगा कि एनडीए बिहार में किस प्रकार की रणनीति अपनाने जा रहा है। 30 मार्च की रैली और बैठकों के नतीजे राज्य की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।