मुंबई, 07 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। लोकसभा चुनाव के लिए I.N.D.I. गठबंधन के तहत कांग्रेस के साथ आई आम आदमी पार्टी अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ेगी। पार्टी के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने गुरुवार को ऐलान किया कि कांग्रेस के साथ गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। विधानसभा चुनाव में हम अकेले मैदान में उतरेंगे। दरअसल, CM हाउस पर आम आदमी पार्टी के दिल्ली के सभी विधायकों और नेताओं की बैठक बुलाई गई। इसमें लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा की गई। इसके बाद राय ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, यह पहले दिन से स्पष्ट है कि INDI गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए था। दोनों पार्टियों ने पूरी ईमानदारी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन विधानसभा के लिए देशभर में कोई गठबंधन अभी नहीं है। गोपाल राय ने कहा कि पार्टी ने कठिन परिस्थितियों में चुनाव लड़ा। हम एकजुट और मजबूत होकर उभरे हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी जीत हासिल करेगी।
उधर, भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने कहा, ये सिर्फ मतलब की दोस्ती थी। अब ये लोग एक-दूसरे को गाली देंगे। वहीं, इंडियन एक्सप्रेस से इंटरव्यू में दिल्ली कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष ने देवेंद्र यादव ने माना था कि उनका गठबंधन कमजोर था। उन्होंने कहा, हमारे पास धन की कमी थी। लवली ने भी कांग्रेस कमेटी छोड़ दी। इससे हमारी इमेज खराब हुई। दिल्ली की सभी 7 सीटों पर 25 मई को वोटिंग हुई थी। 4 जून को आए नतीजों में सभी सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। कांग्रेस-AAP गठबंधन एक भी सीट नहीं जीत सका। दोनों पार्टियों ने कहा कि हार की समीक्षा की जाएगी।
वहीं, गोपाल राय ने कहा कि हमारी बैठक में हमने दो अहम फैसले लिए हैं। आचार संहिता की वजह से पिछले 2 महीने से दिल्ली में विकास के काम ठप पड़े हैं। हमने फैसला लिया कि सभी विधायक शनिवार-रविवार को अपनी-अपनी विधानसभा में कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग करेंगे। रुके हुए कामों में तेजी लाने की दिशा में काम करेंगे। इसके अलावा शनिवार को पार्टी के सभी पार्षदों के साथ और 13 जून को दिल्ली के सभी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग होगी। कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने का निर्णय भी हुआ है। पार्टी ने तय किया है कि जब तक अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, तब तक लड़ाई जारी रहेगी और पार्टी इसे और ज्यादा मजबूती से आगे लेकर जाएगी। साथ ही, पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने यहां 7 और AAP ने 3 सीटें जीतीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब की 8 सीटें जीतीं थीं। वहीं, AAP को सिर्फ एक सीट मिली थी। पंजाब में कांग्रेस-AAP की सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बनी थी। इसलिए दोनों पार्टियों ने अकेले लड़ने का फैसला किया था।