आगरा : आगरा की ऐतिहासिक क्वीन एंप्रेस मैरी लाइब्रेरी का बुधवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भव्य उद्घाटन किया। 114 साल पुरानी इस धरोहर को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 3.30 करोड़ रुपये की लागत से नवीनीकृत कर आधुनिक स्वरूप दिया गया है। लाइब्रेरी अब डिजिटल लाइब्रेरी, प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकों और इंटरनेट जैसी सुविधाओं से लैस हो चुकी है।
उद्घाटन समारोह में पंकज स्कैनिंग एंड पैथोलॉजी रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. पंकज महेंद्रू समेत परिवार के सभी चिकित्सक — डॉ. रेनू महेंद्रू, डॉ. कारण महेंद्रू, डॉ. शिव महेंद्रू, डॉ. आकृति महेंद्रू और डॉ. सांची महेंद्रू उपस्थित रहे।
ऐतिहासिक विरासत को मिला आधुनिक रूप
1911 में दिल्ली दरबार के आयोजन के दौरान एक व्यापारी द्वारा निर्मित यह पुस्तकालय उत्तर भारत की प्राचीनतम सार्वजनिक लाइब्रेरियों में से एक है। इसका नामकरण ब्रिटिश महारानी क्वीन मैरी एलिजाबेथ की आगरा यात्रा की स्मृति में किया गया था। पुस्तकालय का भवन ब्रिटिश औपनिवेशिक शैली में बना है और यह आज भी उसी गौरव को संजोए हुए है।
आधुनिक सुविधाओं से युक्त
लाइब्रेरी को डिजिटल रूप में परिवर्तित किया गया है, जिसमें अब 19 कंप्यूटर, हाई-स्पीड इंटरनेट, सीसीटीवी मॉनिटरिंग, और आधुनिक कैफेटेरिया की सुविधाएं मौजूद हैं।
मुख्य आकर्षण:
डिजिटल लाइब्रेरी: 19 कंप्यूटर व इंटरनेट की सुविधा
पुस्तक संग्रह: 7800 से अधिक पुस्तकें, जिनमें इतिहास, जीवनी, साहित्य और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें शामिल
संचालन समय: सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक
सदस्यता: 1000 रुपये वार्षिक शुल्क व 1000 रुपये सिक्योरिटी मनी
डिजिटल सदस्यता: 2000 रुपये प्रति माह में दो घंटे प्रतिदिन सुविधा
सुविधाएं: 40 कारों की पार्किंग, 1287 वर्गमीटर का इवेंट पार्क, 750 वर्गमीटर का बुक स्टोर, बच्चों के लिए झूले
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्थली
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उद्घाटन के दौरान कहा, क्वीन एंप्रेस मैरी लाइब्रेरी न सिर्फ एक इमारत है, बल्कि यह हमारे इतिहास और संस्कृति की आत्मा है। नई पीढ़ी को इससे प्रेरणा मिलेगी और अध्ययन का वातावरण मिलेगा।
स्मार्ट सिटी लिमिटेड के जीएम अरुण कुमार ने बताया कि इस परियोजना को गर्व और जिम्मेदारी के साथ पूरा किया गया है। यह पुस्तकालय अब सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि एक बौद्धिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।
डॉ. पंकज महेंद्रू ने कहा, यह पुस्तकालय हमारी पीढ़ियों को जोड़ने वाली बौद्धिक और ऐतिहासिक कड़ी है। इसकी पुनर्स्थापना आगरा के लिए गौरव की बात है।