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Pithoragarh : हिमालय में ॐ की आकृति जैसा एक और पर्वत दिखा, दोपहर 12 से दो बजे तक नजर आती है बर्फ से बनी छवि

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Posted On:Monday, March 24, 2025

हिमालय की गोद में फिर से एक रहस्य ने जन्म लिया है। देवभूमि उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में एक और ऐसा पर्वत शिखर देखा गया है, जो 'ॐ' (ओम) के आकार जैसी आकृति को प्रदर्शित करता है। यह नया दृश्य पहले से मौजूद ओम आकृति की तुलना में न केवल बड़ा है, बल्कि और भी स्पष्ट बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों में इसे देखने को लेकर जबरदस्त उत्साह है, और अब यह क्षेत्र धार्मिक श्रद्धा और वैज्ञानिक जिज्ञासा का केंद्र बनता जा रहा है। डीडीहाट क्षेत्र से पूर्व दिशा में नजर आने वाली इस पर्वतीय चोटी पर यह रहस्यमय आकृति बनी हुई है। यह पहाड़ मुनस्यारी और धारचूला के बीच, उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित बताया जा रहा है। माना जाता है कि यह चोटी साल भर बर्फ से ढकी रहती है, लेकिन हाल ही में जब मौसम साफ हुआ तो इसके शिखर पर यह खास आकृति दिखाई दी।

पहली नजर में 'ॐ' की झलक

इस रहस्य को सबसे पहले स्थानीय निवासी नवीन टोलिया ने देखा। डीडीहाट में रहने वाले नवीन रोजाना की तरह हिमालय दर्शन कर रहे थे। तभी उनकी नजर उस पर्वत पर पड़ी, जिसकी चोटी पर यू-आकार की आकृति स्पष्ट नजर आ रही थी। पहले तो उन्होंने इसे भ्रम समझा, लेकिन जैसे-जैसे सूरज की रोशनी बढ़ी, आकृति और भी ज्यादा उभरकर सामने आने लगी।

नवीन टोलिया बताते हैं,

"पहले लगा कि शायद यह बर्फ के बहाव या परछाई का खेल है। लेकिन ध्यान से देखने पर ये आकृति बिल्कुल 'ॐ' के चिन्ह जैसी लगी। मैंने तुरंत अपने दोस्तों और परिवार को बुलाया। सबने देखा और हैरान रह गए।"

हर दोपहर होता है रहस्य का खुलासा

नवीन के अनुसार, यह आकृति रोजाना दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक सबसे साफ दिखाई देती है। जैसे ही धूप एक विशेष कोण पर पहुंचती है, पर्वत की सतह पर यह आकृति उभर आती है। मौसम साफ होने पर यह दृश्य और भी अद्भुत नजर आता है। स्थानीय लोग रोजाना दोपहर इस दृश्य के दर्शन के लिए जुटते हैं। कई श्रद्धालु इसे एक दिव्य संकेत मानते हुए पूजा-अर्चना भी करने लगे हैं।

वैज्ञानिक और आध्यात्मिक नजरिए

'ॐ' हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र प्रतीक माना जाता है। यह नाद और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। हिमालय को पहले से ही देवताओं का निवास माना जाता है। ऐसे में इस आकृति को लोग किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। हालांकि, वैज्ञानिक नजरिया थोड़ा अलग है। कुछ भूवैज्ञानिक मानते हैं कि यह आकृति बर्फ के जमने और पिघलने की प्राकृतिक प्रक्रिया का परिणाम हो सकती है। सूरज की रोशनी, बर्फ का ढांचा और चट्टानों की आकृति मिलकर ऐसा दृश्य बना सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आकृति इतनी सटीक कैसे है?

तीर्थयात्रियों का आकर्षण बना यह स्थान

अब यह स्थान तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। स्थानीय प्रशासन को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यहां और अधिक श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचेंगे। डीडीहाट और उसके आसपास के इलाकों में होटलों और गेस्टहाउसों की बुकिंग बढ़ गई है। कई धार्मिक संगठनों ने यहां विशेष पूजा और यज्ञ की योजना भी बना ली है। स्थानीय निवासी गीता देवी कहती हैं,

"पहाड़ों में पहले से ही ओम पर्वत था। अब यह नई आकृति दिखना किसी चमत्कार से कम नहीं। यह हमारी आस्था को और मजबूत कर रही है।"

प्रशासन ने की व्यवस्था मजबूत

भीड़ बढ़ती देख जिला प्रशासन ने इलाके में व्यवस्थाएं सुधार दी हैं। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके साथ ही, मेडिकल कैंप और रेस्ट एरिया बनाए जा रहे हैं। स्थानीय पर्यटन अधिकारी राजेश पांडे का कहना है,

"हम इस क्षेत्र को एक नियंत्रित पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा देना हमारी प्राथमिकता है। साथ ही, हम वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इसकी जांच भी करवा रहे हैं कि यह आकृति कैसे बनी।"

अर्धचंद्र और बिंदु की कमी

हालांकि, कई लोगों ने यह भी नोट किया कि इस आकृति में 'ॐ' के चिन्ह में जो अर्धचंद्र और बिंदु होते हैं, वे साफ नजर नहीं आते। इसलिए इसे पूरी तरह 'ॐ' चिन्ह कहना थोड़ा कठिन है।
लेकिन फिर भी, आकृति में जो यू-आकार उभरकर सामने आया है, वह बहुत हद तक आध्यात्मिक प्रतीक से मेल खाता है। लोग इसे प्राकृतिक चमत्कार के रूप में देख रहे हैं।

क्या यह दूसरा ओम पर्वत है?

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह पर्वत भी पहले से प्रसिद्ध 'ओम पर्वत' की तरह तीर्थ स्थल बन सकता है? पहले से मौजूद ओम पर्वत नेपाल और भारत की सीमा पर स्थित है। वह अपनी बर्फ की परतों पर स्वाभाविक रूप से उभरी 'ॐ' की आकृति के लिए प्रसिद्ध है। अब यह नया पर्वत, जो मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्र में है, लोगों के लिए रहस्य और श्रद्धा का नया केंद्र बन गया है।

निष्कर्ष

हिमालय हमेशा से ही रहस्य, अध्यात्म और प्राकृतिक चमत्कारों का केंद्र रहा है। यह नया पर्वत शिखर और उस पर उभरी 'ॐ' जैसी आकृति एक बार फिर इसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। चाहे यह कोई भूगर्भीय संयोग हो या दिव्य चमत्कार, इसमें कोई दो राय नहीं कि यह दृश्य लोगों को जोड़ रहा है – आस्था से, विज्ञान से और प्रकृति के प्रति सम्मान से।


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