मुंबई, 21 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)।जयपुर में अंतरराष्ट्रीय वानिकी दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, प्रकृति से की जा रही छेड़छाड़ हमारे अस्तित्व के लिए घातक साबित हो सकती है। इसलिए हमें न सिर्फ वन क्षेत्र का संरक्षण करना चाहिए। इन्हें और ज्यादा विकसित भी करना चाहिए। राजस्थान में नदियों के सिकुड़ने, पहाड़ों के छोटे होने और वनों के काटे जाने पर चिंता जाहिर की है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा, वानिकी दिवस की थीम फॉरेस्ट एंड फूड रखी गई है। क्योंकि प्रकृति का महत्व बहुत बड़ा है। हम अपनी जिज्ञासाओं को देखकर, पढ़कर और सुनकर तीन तरीके से समझ सकते हैं। हम जब घने जंगलों की कहानी सुनते हैं। मन की जिज्ञासा उत्पन्न होती है और वही हमें वनों से जोड़ती हैं। हमारी नदियां सिकुड़ती जा रही हैं, हमारे पहाड़ छोटे होते जा रहे हैं, वन काटे जा रहे हैं। जिन्हें हमे बचाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी संस्कृति में नदी, पहाड़ और पेड़ों को पूजा जाता हैं। हमें प्रकृति में सहभागिता बढ़ानी है। हमें आने वाली पीढ़ी को पौधरोपण की सौगात देनी चाहिए। फल-फूल और छाया देनी वाली प्रकृति का संरक्षण कर वन मित्रों को उनके योगदान के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
शर्मा ने कहा, प्रकृति में कुछ भी फालतू नहीं, वन का अत्यंत महत्व है। वृक्षों से ही औषधि बनती है। हमें गौरैया संरक्षण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए एक पेड़ मां के नाम अभियान को लोगों ने काफी सराहा है। अभियान के तहत इस साल हम 10 करोड़ पौधे लगाएंगे। 5 साल में हमारा लक्ष्य प्रदेश में 50 करोड़ पौधे लगाने का है। राजस्थान में हमें वन क्षेत्र को 9.64 फीसदी से 20 फीसदी तक ले जाना है। इसके लिए राजस्थान में सरकार नई कृषि वानिकी नीति लाएगी। हमारी सरकार जल्द ही प्रदेश में 1750 वनरक्षकों की भर्ती करने जा रही है। इसके साथ ही एक जिला एक प्रजाति कार्यक्रम से स्थानीय किस्म के पौधे विकसित करेंगे। ताकि प्रदेश को हरियाला राजस्थान बनाया जा सके। इसके साथ ही हमारी सरकार पालीघाट में घड़ियाल रियरिंग सेंटर भी खोलेगी।