अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात दंगों सहित सबसे विवादास्पद विषयों पर खुलकर बात की। इस चर्चा में उन्होंने अपने जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महत्वपूर्ण भूमिका, समाज में इसके योगदान और अपने व्यक्तिगत अनुभवों पर विस्तार से चर्चा की।
लेक्स ने उनसे पूछा, “आप आठ साल की उम्र में ही आरएसएस में शामिल हो गए थे, यह एक ऐसा संगठन है जो हिंदू राष्ट्रवाद के विचार का समर्थन करता है। क्या आप मुझे आरएसएस के बारे में बता सकते हैं? इसने आपको और आपकी राजनीतिक विचारधारा के विकास को किस प्रकार प्रभावित किया है?
प्रधानमंत्री का उत्तर
“हमारे गांव में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की शाखा थी जहां देशभक्ति के गाने बजाए जाते थे। उनमें से कुछ गीतों ने मुझे बहुत प्रभावित किया और इस तरह मैं आरएसएस का हिस्सा बन गया। आरएसएस में हमें जो मूल मूल्य सिखाए गए थे उनमें से एक यह था कि आप जो भी करें, उसे उद्देश्य के साथ करें – राष्ट्र के योगदान के लिए करें। उदाहरण के लिए, अगर मैं पढाई करूँ तो मुझे इतना अच्छा पढना चाहिए कि इससे देश को लाभ हो। यदि मैं व्यायाम करता हूं, तो मुझे इसे इस प्रकार करना चाहिए कि मेरा शरीर भी राष्ट्र की सेवा करे। आरएसएस लगातार यही सिखाता है।
आरएसएस एक विशाल संगठन है, जो अब अपनी 100वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ रहा है। संभवतः विश्व में कहीं भी इस पैमाने का कोई अन्य स्वैच्छिक संगठन नहीं होगा। लाखों लोग इससे जुड़े हुए हैं। लेकिन आरएसएस को समझना इतना आसान नहीं है। किसी को भी इसके कार्य की प्रकृति को सही मायने में समझने का प्रयास करना चाहिए।