कभी एक प्राइवेट जॉब में कार्यरत रहे बुज़ुर्ग आज रिटायरमेंट के बाद अपनी जीविका चलाने के लिए गुब्बारे बेचते नज़र आते हैं। उनकी सादगी और संघर्ष ने हर उस व्यक्ति का दिल छू लिया जो उनसे मिलता है।
इन बुज़ुर्ग ने बातचीत में बताया कि जीवन के इस पड़ाव पर भी वे मेहनत को ही अपना सहारा मानते हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी का दर्द और सच्चाई एक कविता के ज़रिए बयां की
दौलत का आज कल है इजारा ज़मीन पर
कैसे करे गरीब, गुजारा ज़मीन पर
दामन तुम्हारा कैसे सितारों से हम भरे,
हम आदमी हैं, घर है हमारा ज़मीन पर।
इस मार्मिक कविता और संघर्ष की दास्तां को ACP इमरान ने अपनी सोशल मीडिया वॉल पर साझा किया। उनकी इस पहल ने न केवल इस बुज़ुर्ग की मेहनत को सबके सामने लाया, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि हमें ऐसे लोगों से सीख लेनी चाहिए जो हालात से लड़ते हुए भी हार नहीं मानते।
ACP इमरान की यह पोस्ट अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है और लोग इसे पढ़कर भावुक हो रहे हैं।