बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा मौत की सज़ा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हालात एक बार फिर बिगड़ गए हैं। सज़ा के ऐलान के तुरंत बाद उनके समर्थकों ने देश के कई इलाकों में भारी हिंसा, आगजनी और बमबारी की घटनाओं को अंजाम दिया है। इस विरोध प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के दौरान अब तक दो लोगों की मौत की ख़बर है, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं और कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और सरकारी दफ्तरों पर भी हमले किए। हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले, लाठीचार्ज और कई जगहों पर फायरिंग का सहारा लेना पड़ा, जिससे तनाव और बढ़ गया है। प्रदर्शनकारी सड़कों को अवरुद्ध कर रहे हैं, जिसके खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई कर रही है।
बेटे सजीब वाजेद की पूर्व चेतावनी
शेख हसीना को सज़ा सुनाए जाने से पहले ही उनके बेटे सजीब वाजेद का एक बड़ा बयान सामने आया था, जो अब सच साबित हुआ है। सजीब वाजेद ने कहा था कि उन्हें पहले से ही मालूम है कि उनकी माँ को दोषी माना जाएगा और मौत की सज़ा सुनाई जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने उनकी पार्टी अवामी लीग पर लगे बैन को लेकर भी चेतावनी दी थी। सजीब वाजेद ने कहा था कि यदि पार्टी पर लगा बैन नहीं हटाया गया, तो उनके समर्थक चुनाव से पहले विरोध-प्रदर्शन करेंगे, जो आगे चलकर हिंसक हो सकता है। दुःखद रूप से, हिंसा के लिए समर्थकों को चुनाव तक इंतजार नहीं करना पड़ा और सज़ा के ऐलान के बाद ही ढाका में हालात बेकाबू हो गए।
बेटे ने सज़ा को गलत ठहराया, भारत पर जताया भरोसा
शेख हसीना को मिली फांसी की सज़ा के फैसले को उनके बेटे सजीब वाजेद ने पूरी तरह गलत ठहराया है। उन्होंने इस बात पर दुःख जताया कि उन्हें पहले ही पता था कि कोर्ट का फैसला यही आने वाला है। सजीब वाजेद ने अपनी माँ के भारत में रहने को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि उनकी माँ भारत में पूरी तरह से सुरक्षित (सेफ) हैं और भारत उन्हें पूरी सुरक्षा दे रहा है। यह बयान ऐसे समय आया है जब शेख हसीना को भारत में राजनीतिक शरण मिलने की अटकलें हैं।
प्रत्यर्पण की मांग पर भारत का रुख स्पष्ट नहीं
मौजूदा घटनाक्रम के बीच, बांग्लादेश की वर्तमान अस्थायी सरकार ने भारत से शेख हसीना को जल्द से जल्द वापस लौटाने की आधिकारिक मांग की है और दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि का हवाला दिया है। हालांकि, भारत सरकार ने इस संवेदनशील मामले पर अभी तक यह साफ नहीं किया है कि वह हसीना को बांग्लादेश भेजेगी या नहीं। भारत ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में स्पष्ट किया है कि वह किसी नेता या पार्टी के साथ नहीं, बल्कि "बांग्लादेश के लोगों" के साथ खड़ा है और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने पर ज़ोर दे रहा है। शेख हसीना की सज़ा और भारत में उनकी उपस्थिति, दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो रही है।