ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को लेकर होने वाली दूसरी वार्ता का स्थान अब तय हो गया है। ईरान के अधिकारियों ने बुधवार को पुष्टि की कि यह वार्ता रोम में होगी, जो वैश्विक शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु मुद्दे पर महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इससे पहले इस बात पर भ्रम था कि वार्ता कहां होगी। ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने इस पर आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि यह घोषणा राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के उस फैसले के बाद हुई है, जिसमें उन्होंने अपने उपराष्ट्रपति मोहम्मद जवाद जरीफ के इस्तीफे को मंजूरी दी। जरीफ 2015 के परमाणु समझौते में तेहरान के प्रमुख वार्ताकार थे।
मध्यस्थता की भूमिका में ओमान
ईरान और अमेरिका के बीच होने वाली यह वार्ता ओमान के मध्यस्थता से संभव हो रही है। ओमान के विदेश मंत्री ने पिछले सप्ताहांत ओमान की राजधानी मस्कट में हुए ईरान-अमेरिका वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इसके बाद से यह सवाल उठ रहा था कि आगामी वार्ता कहां होगी। मंगलवार तक ईरान ने कहा था कि वार्ता ओमान में होगी, लेकिन अब यह रोम में होगी, जैसा कि सोमवार को कई अधिकारियों ने पुष्टि की थी।
आईएईए प्रमुख राफेल ग्रॉसी की भूमिका
दूसरे दौर की परमाणु वार्ता में एक महत्वपूर्ण विकास यह है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल मारियानो ग्रॉसी भी शामिल होंगे। राफेल ग्रॉसी बुधवार से ईरान दौरे पर हैं, और इस दौरान वे वार्ता में हिस्सा लेने वाले अधिकारियों के साथ यह चर्चा कर सकते हैं कि किसी संभावित समझौते के तहत उनके निरीक्षकों को किस प्रकार की पहुंच दी जाएगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति की चेतावनी और ईरान का रुख
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार चेतावनी दी है कि यदि कोई समझौता नहीं हुआ तो वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर हवाई हमले कर सकते हैं। ईरानी अधिकारी भी लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि वे अपने यूरेनियम भंडार को समृद्ध करके परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर सकते हैं, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है।
यह वार्ता उस समय हो रही है जब ईरान और अमेरिका दोनों के लिए परमाणु मुद्दा वैश्विक राजनीति का महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। ऐसे में यह वार्ता ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाली हो सकती है।