भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भाई दूज हर बहन के लिए खास होता है। यह त्यौहार दिवाली के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस बार भाई दूज 14 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें अपने भाई को टीका लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन चित्रगुप्त जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। उनकी पूजा के साथ कलम दवात की भी पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि ये चीजें चित्रगुप्त जी के हथियार हैं।
चित्रगुप्त भगवान कौन हैं?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा के मन से हुआ था। भगवान चित्रगुप्त को देवताओं का मुंशी और यम का सहायक कहा जाता है। वे हमेशा इंसान के अच्छे-बुरे का हिसाब-किताब रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है। इसीलिए उन्हें यमराज का सहायक भी कहा जाता है।
भाई दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा क्यों की जाती है?
यह पूजा कायस्थ समाज के लोग करते हैं। चित्रगुप्त को इस समुदाय का पूर्वज माना जाता है। इसलिए वे उनकी पूजा (करें लक्ष्मी गणेश जी की यह पूजा) करते हैं। इस दिन सबसे पहले चित्रगुप्त जी की आरती की जाती है। इसके बाद कलम दवात की पूजा की जाती है. इससे शिक्षा का आशीर्वाद भी मिलता है और नये कार्य करने की प्रेरणा भी मिलती है। यह भी कहा जाता है कि इसी दिन यम को अपनी बहन यमुना से वरदान मिला था। इस वरदान में कहा गया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के यहां जाकर माथे पर तिलक लगाएगा और बहन के हाथ का खाना खाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इसके लिए भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है।
कैसे करें भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा
- सुबह उठकर सबसे पहले घर की सफाई करें।
- इसके बाद चौक बना लें.
- अब उस पर भगवान चित्रगुप्त जी की तस्वीर रखें.
- उनके सामने घी का दीपक जलाएं और फूल और मिठाई चढ़ाएं।
- आप उन्हें पेन भी भेंट कर सकते हैं.
- इसके बाद सफेद कागज पर हल्दी लगाकर उस पर श्री गणेशाय (सूर्य मंत्र) नम: लिखें।
- फिर ॐ चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का जाप करें.