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Aaj ka Panchang: आज राहुकाल के साथ बना 4 योग का अद्भुत संयोग, शुभ-अशुभ मुहूर्त जानने के लिए पढ़ें 31 अक्टूबर का पंचांग

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Posted On:Friday, October 31, 2025

भारतीय कालगणना और ज्योतिषीय महत्व से भरा आज का दिन, 31 अक्टूबर 2025, कई मायनों में विशेष है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक रहेगी, जिसके उपरांत दशमी तिथि का आरंभ होगा। शुक्रवार का दिन होने के कारण यह तिथि धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है, जिससे भक्तों के लिए आज का दिन पूजा-अर्चना और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत अनुकूल बन जाता है।

कंस वध की ऐतिहासिक तिथि: न्याय की जीत

ज्योतिषीय महत्व के साथ-साथ, यह तिथि पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। प्राचीन काल में आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध किया था। इस विजय के बाद, उन्होंने कंस के पिता और न्यायप्रिय राजा उग्रसेन को मथुरा के सिंहासन पर फिर से प्रतिष्ठित किया। यह घटना धर्म की अधर्म पर, और न्याय की अन्याय पर शाश्वत जीत का प्रतीक है। यही कारण है कि आज के दिन भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। भक्तगण आज कृष्ण मंदिरों में जाकर अपने जीवन में न्याय, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।

आज के शुभ-अशुभ योगों का प्रभाव

पंचांग के अनुसार, आज के दिन कई महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं जो दिनचर्या और शुभ कार्यों को प्रभावित करेंगे।

  • वृद्धि योग: प्रात: काल 12 बजे से लेकर सुबह 4 बजकर 31 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा, जो नाम के अनुरूप शुभता और प्रगति में वृद्धि करने वाला माना जाता है।

  • ध्रुव योग: वृद्धि योग के समाप्त होते ही ध्रुव योग आरंभ हो जाएगा, जो स्थिरता और दृढ़ता के लिए अत्यंत उत्तम है।

  • रवि योग: पूरे दिन रवि योग का प्रभाव रहेगा। यह योग समस्त दोषों को दूर करने वाला और हर कार्य में सफलता दिलाने वाला माना जाता है।

  • विडाल योग: हालांकि, सुबह 7 बजकर 9 मिनट पर विडाल योग का आरंभ होगा, जो दोपहर 02:21 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में इसे बहुत शुभ नहीं माना जाता, इसलिए इस अवधि में महत्वपूर्ण निर्णय लेने या नए कार्यों को शुरू करने से बचना चाहिए।

पंचांग विवरण: समय और ग्रहों की स्थिति

आज के दिन सूर्योदय सुबह 07:09 बजे हुआ और सूर्यास्त शाम 03:56 बजे होगा। चंद्रमास के अनुसार, चन्द्रोदय दोपहर 02:53 बजे होगा, जबकि चंद्रास्त अगले दिन सुबह 12:32 बजे होगा।

नक्षत्र और करण:

  • धनिष्ठा नक्षत्र शाम 06:51 मिनट तक रहेगा, जिसके बाद शतभिषा नक्षत्र का आरंभ होगा।

  • करणों में, सुबह 10:04 मिनट तक कौलव करण, उसके बाद देर रात 09:44 मिनट तक तैतिल करण और अंत में गर करण रहेगा।

नवग्रहों की स्थिति (राशि):

आज के दिन नवग्रहों की स्थिति भी विशेष है:

  • सूर्य (तुला), शुक्र (कन्या) और बृहस्पति (कर्क) अपनी-अपनी राशियों में स्थित हैं।

  • बुध और मंगल ग्रह वृश्चिक राशि में युति कर रहे हैं।

  • शनि ग्रह अपनी स्वयं की राशि मीन में विराजमान हैं।

  • छाया ग्रह राहु (कुंभ) और केतु (सिंह) में स्थित हैं।

  • चंद्रमा आज मकर और कुंभ राशि में संचरण करेंगे।

यह ग्रह स्थिति दर्शाती है कि आज का दिन आध्यात्मिकता, कर्मठता और धन से जुड़े मामलों के लिए मिश्रित फलदायी रहेगा।

आज की प्रार्थना: लक्ष्मी और कृष्ण का आशीर्वाद

शुक्रवार के दिन कार्तिक शुक्ल नवमी का यह संयोग मां लक्ष्मी के आशीर्वाद और भगवान कृष्ण की विजय का पर्व लेकर आया है। भक्तों को चाहिए कि वे आज के दिन सच्चे मन से कृष्ण और लक्ष्मी की उपासना करें, ताकि उनके जीवन में धन, समृद्धि, और धर्म की स्थापना हो सके। यह तिथि हमें यह भी याद दिलाती है कि अंततः सत्य और न्याय की ही विजय होती है।

कार्तिक शुक्ल नवमी: धन-धान्य और कृष्ण भक्ति का महासंयोग

31 अक्टूबर 2025 का दिन, भारतीय ज्योतिष और धर्म के अनुसार, अत्यंत शुभ और पवित्र संयोग लेकर आया है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आज सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक रहेगी, जिसके उपरांत दशमी तिथि का आरंभ होगा। शुक्रवार का दिन होने के कारण, यह तिथि विशेष रूप से धन की देवी, मां लक्ष्मी को समर्पित है। ज्योतिषीय गणना के साथ-साथ, इस तिथि का संबंध भगवान श्री कृष्ण की एक महान विजय से भी है, जो इस दिन के आध्यात्मिक महत्व को कई गुना बढ़ा देता है।

कंस पर कृष्ण की विजय: धर्म की पुनर्स्थापना

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा और अत्याचारी राजा कंस का वध किया था। कंस के आतंक से मुक्त कराने के बाद, कृष्ण ने मथुरा के वास्तविक शासक, अपने नाना राजा उग्रसेन को पुनः सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया। यह घटना केवल एक व्यक्तिगत जीत नहीं थी, बल्कि धर्म, न्याय और सत्य की स्थापना का प्रतीक थी। इसलिए, इस पवित्र नवमी तिथि पर भगवान कृष्ण की पूजा करने से भक्तों को जीवन में अन्याय पर विजय और न्याय की शक्ति प्राप्त होती है। आज के दिन कृष्ण जी की पूजा करना, उनके द्वारा स्थापित धर्म और न्याय के सिद्धांतों को जीवन में उतारने का संकल्प लेने जैसा है।

अक्षय नवमी का पुण्य: आंवले के वृक्ष में लक्ष्मी-नारायण

कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय नवमी या आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। 'अक्षय' का अर्थ है जिसका कभी नाश न हो। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए दान, पुण्य और धार्मिक कार्यों का फल अक्षय होता है, यानी उसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।

  • पौराणिक महत्व: शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं।

  • पूजा विधि: भक्त इस दिन आंवले के वृक्ष की विधिवत पूजा करते हैं, उसकी जड़ों को दूध से सींचते हैं, मौली (कच्चा सूत) बांधते हैं और दीप जलाते हैं।

  • भोजन: इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने का विशेष महत्व है, जिससे आरोग्य, सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस तरह, आज का दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु/कृष्ण दोनों के आशीर्वाद को एक साथ पाने का दुर्लभ अवसर है।

ग्रह-नक्षत्र और शुभ योगों का प्रभाव

आज के पंचांग में कई शुभ योग बन रहे हैं जो दिन को मंगलकारी बना रहे हैं:

  • रवि योग: यह योग पूरे दिन प्रभावी रहेगा, जो सभी प्रकार के दोषों को दूर करने और कार्यों में सफलता दिलाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • वृद्धि योग और ध्रुव योग: ये योग क्रमशः प्रगति और स्थिरता के लिए शुभ फल प्रदान करते हैं।

  • नक्षत्र: शाम 06:51 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा, जिसके बाद शतभिषा नक्षत्र का आरंभ होगा।

  • ग्रहों की स्थिति: चंद्र ग्रह मकर और कुंभ राशि में संचरण करेंगे। शनि ग्रह (मीन), राहु (कुंभ), केतु (सिंह), सूर्य (तुला), शुक्र (कन्या), बृहस्पति (कर्क), बुध (वृश्चिक) और मंगल (वृश्चिक) में स्थित हैं।

यह ग्रह-संयोग बताता है कि यह दिन आध्यात्मिक साधना, दान-पुण्य और धन से संबंधित कार्यों के लिए अत्यंत अनुकूल है, विशेषकर मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

आज की विशेष पूजा: लक्ष्मी-कृष्ण का संयुक्त आशीर्वाद

शुक्रवार और कार्तिक नवमी के इस महासंयोग पर भक्तों को चाहिए कि वे न केवल आंवले के वृक्ष की पूजा करें, बल्कि भगवान कृष्ण और मां लक्ष्मी की संयुक्त पूजा भी करें।

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • भगवान विष्णु/कृष्ण और मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  • उन्हें पंचामृत से स्नान कराएँ, पुष्प, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें।

  • मां लक्ष्मी के मंत्र: "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः" का जाप करें।

  • भगवान कृष्ण का मंत्र: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या दामोदर मंत्र का जाप करें।

  • घी का दीपक जलाएँ और आरती करें।

इस तरह की पूजा से जीवन में स्थिरता, समृद्धि और धार्मिक विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे यह दिन भक्तों के लिए एक अक्षय पुण्य का अवसर बन जाता है।


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