सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी रिव्यु - एक कमजोर और बोरिंग रोमांटिक ड्रामा
                                                
                                                
                                                
                                                    
                                                
                                                एक कमजोर और बोरिंग रोमांटिक ड्रामा!!
                                             
											
											
											
											
	
                                                निर्देशक: शशांक खेतान
कलाकार: वरुण धवन, जान्हवी कपूर, सान्या मल्होत्रा, रोहित सराफ, मनीष पॉल, अक्षय ओबेरॉय
अवधि: 135 मिनट
 
सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी ऐसी फिल्म है जो अपनी कहानी और प्रस्तुति दोनों में कई मायनों में असफल साबित होती है। फिल्म की शुरुआत सेही ऐसा लगने लगता है कि कहानी कहीं खो गई है और पात्रों के बीच की केमिस्ट्री भी पूरी तरह से निखर कर सामने नहीं आती। एक आधुनिक प्रेमकहानी की कोशिश के बावजूद, यह फिल्म उन भावनाओं को पकड़ने में असमर्थ रहती जो दर्शकों को जोड़े रखती हैं।
 
वरुण धवन और जान्हवी कपूर के बीच केमिस्ट्री कमजोर है, जिससे उनके किरदारों के बीच भावनात्मक जुड़ाव की कमी साफ महसूस होती है। वरुणका अभिनय कई बार अच्छा लगता है, लेकिन जान्हवी का प्रदर्शन पूरी तरह से नकली दिखता है, एक्ट्रेस ठीक ढंग से कोई भी इमोशन नहीं दिखा पाई, हाँ, डेसिंगेर कपड़ो की भरमार हैं, लेकिन एक्टिंग के मामले में जान्हवी को सीरियस होना पड़ेगा। वही सहायक कलाकारों के पास सीमित स्क्रिप्ट होनेके कारण वे भी अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पाते। हालांकि, कुछ छोटे पल हैं जहां उनके प्रयास देखने लायक हैं। डायरेक्टर ने पूरी तरह सेसान्या और रोहित को इस्तेमाल नहीं किया, जो की मंझे हुए कलाकार है. 
 
फिल्म का संवाद और हास्य दोनों ही काफी कमजोर हैं। कई बार ऐसा लगता है कि हास्यपूर्ण प्रयासों ने कहानी को आगे बढ़ाने की बजाय उसे कमजोरकर दिया है। संगीत भी कहानी के साथ मेल नहीं खाता और फिल्म के मूड को ठीक से कैप्चर नहीं कर पाता। इसके अलावा, फिल्म की लंबाई और कुछ अनावश्यक दृश्यों ने इसे और भारी बना दिया है।
 
निर्देशन के मामले में शशांक खेतान ने जो कुछ प्रस्तुत किया है, उसमें और सुधार की गुंजाइश थी। कहानी को अधिक सटीकता और भावुकता के साथ पेश किया जा सकता था। अगर पटकथा और चरित्र विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जाता, तो फिल्म दर्शकों को बेहतर तरीके से जोड़ पाती। 
 
कुल मिलाकर, सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी एक उम्मीद से कम पड़ने वाली फिल्म है। इसमें कई सकारात्मक तत्व होने के बावजूद, कमजोर स्क्रिप्टऔर किरदारों की अनकही खामियां इसे प्रभावित करती हैं। इसे केवल उन दर्शकों को देखना चाहिए जो वरुण धवन और जान्हवी कपूर के फैन हों, अन्यथा यह फिल्म आपके समय और धैर्य को चुनौती दे सकती है।