यामी गौतम की अभिनय से 'आर्टिकल 370 ' पूरी तरह से चमकी , फिल्म की दिलचस्प कहानी कश्मीर की जटिल गतिशीलतापर प्रकाश डालती है
यामी गौतम की अभिनय से 'आर्टिकल 370 ' पूरी तरह से चमकी , फिल्म की दिलचस्प कहानी कश्मीर की जटिल गतिशीलतापर प्रकाश डालती है
डायरेक्टर - आदित्य सुहास जांभले
स्टाररिंग : यामी गौतम ,प्रिया मणि , अरुण गोविल, किरण करमाकर
रन टाइम : 2 घंटे 40 मिनट
प्लेटफार्म : थिएटर
रेटिंग - 3
सिनोप्सिस - 'आर्टिकल 370' सरकार के एक ऐतिहासिक फैसले, उस फैसले को ग्राउंड पर लागू करने वाले लोगों, फैसले केपीछे की प्लानिंग-प्लॉटिंग और बिना किसी को कानों कान खबर हुए उसके कामयाब हो जाने को सेलिब्रेट करती है.
यामी गौतम स्टारर इस फिल्म को डायरेक्टर आदित्य सुहास जांभले ने चैप्टर वाले स्टाइल में ट्रीट किया है. ये चैप्टर कश्मीर केबुरहान वानी एपिसोड से शुरू होते हैं और पुलवामा हमले से होते हुए आगे बढ़ते हैं. आखिरकार ये वहां पहुंचते हैं, जहां भारतसरकार का एक फैसला कश्मीर की तकदीर बदलने के लिए तैयार है.
कहानी - 'आर्टिकल 370' शुरू होती है इंटेलिजेंस ऑफिसर जूनी हकसार (यामी गौतम) के एक मिशन से, जिसमें उनके निशानेपर बुरहान वानी है. जूनी का ऑपरेशन कश्मीर में बवाल खड़ा कर देता है, जिसके बाद उसे दिल्ली बुला लिया जाता है. इधरदिल्ली में पीएमओ की हाई रैंक ऑफिशियल राजेश्वरी स्वामीनाथन कश्मीर के हालात को लेकर एक्टिव हैं. वो सीधा प्रधानमंत्रीऔर गृहमंत्री के 'कश्मीर विजन' को रियलिटी में लाने पर काम कर रही हैं. फिल्म में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम नहीं लिए गएहैं, मगर दोनों किरदारों को देखकर ही आप समझ जाते हैं कि ये कौन हैं.
राजेश्वरी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए जूनी को वापस कश्मीर भेजती हैं. इस बार नई पावर के साथ पहुंची जूनी का मिशनहै कश्मीर में एंटी-इंडिया गतिविधियों और लोगों को काबू करना ताकि इधर सरकार अपने फैसले बिना चिंता के ले सके. औरफिल्म की एकदम शुरुआत में ही ये साफ़ हो जाता है कि जूनी इस तरह के काम में किसी भी तरह ढीली नहीं पड़ने वाली.
एक तरफ आपको जूनी की नजर से कश्मीर के हालात, वहां की पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी पर कमेंट्री मिलती है. दूसरी तरफ, राजेश्वरी दिल्ली की राजनीति का जायका आप तक पहुंचाती हैं. सेकंड हाफ में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की एंट्री के बाद फिल्म कामाहौल ही बदल जाता है. ऐसा लगता है कि सारा फोकस उनपर पहुंच गया है. लेकिन ये तो होना ही था, आखिरी वो किरदार हीऐसे हैं!
परफॉरमेंस - यामी गौतम का काम इस फिल्म में इतना दमदार है कि 'आर्टिकल 370' को उनकी करियर बेस्ट परफॉरमेंस कहाजा सकता है. क्लोज-अप में उनकी आंखें चेहरे के एक्सप्रेशन और आवाज बेहतरीन असर करते हैं. राजेश्वरी एक रोल में प्रियामणिभी बहुत दमदार लगती हैं. वैभव तत्ववादी और राज अर्जुन की परफॉरमेंस भी याद रहने वाली है। भारत के गृह मंत्री अमित शाह की एक पार्लियामेंट स्पीच को जिस तरह रीक्रिएट किया गया है, वो फिल्म के नैरेटिव में काफीअसरदार है. किरण कर्मारकर ने अपने जानदार काम से इस रोल में जान फूंक दी है. इसी तरह अरुण गोविल ने प्रधानमंत्री केकिरदार को बेहतरीन संजीदगी के साथ पेश किया है.
वर्डिक्ट - कुल मिलाकर 'आर्टिकल 370' रियलिटी के बेहद करीब वाले फिक्शन को फैक्ट्स से थोड़ा दूर ले जाकर एक थ्रिलिंगतरीके से पेश करती है. यामी गौतम और बाकी सारे एक्टर्स की दमदार परफॉरमेंस फिल्म को एंगेजिंग बनाती है. बीच-बीच मेंसंविधान की टेक्निकल चीजों को समझाने की कोशिश, नैरेटिव को थोड़ा सा धीमा करती है, मगर रियलिटी की पोटली में बंधाफिक्शन इससे मजबूत ही होता है.