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फिल्म रिव्यु - OMG 2



सच कहूं तो  बहुत वक्त बाद कोई ऐसी फिल्म देखी जिसमें कोई कमी नहीं दिखी, जिसकी राइटिंग कमाल की लगी, ​​​​​​​दर्शकों के हर वर्ग को यह फिल्म देखनी चाहिए.


Posted On:Friday, August 18, 2023


साल 2012 में आई परेश रावल और अक्षय कुमार की फिल्म OMG की पहचान धार्मिक आडंबरों पर प्रहार से बनी थी. तमाम कटुताओं के बावजूद फिल्म की कहानी में दिखाये गये तर्क को दर्शकों ने खूब पसंद किया था.आज भी वह एक ऑलटाइम पॉपुलर फिल्म है. ऐसे में पंकज त्रिपाठी और अक्षय कुमार की OMG 2 के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि क्या यह फिल्म भी सदाबहार लोकप्रियता की कसौटी पर खरी उतर सकेगी? यह सवाल इसलिए भी उठा क्योंकि रिलीज से पहले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने इस फिल्म के कई सीन को लेकर सवाल उठाये और बाद में उसे A सर्टिफिकेट दे दिया. लेकिन जब हम अमित राय के निर्देशन में बनी OMG-2 देखकर सिनेमा हॉल से निकलते हैं तो ये सारे सवाल भूल जाते हैं. पहले भाग में धार्मिक आडंबर और उस आडंबर के नाम पर व्यापार करने वाले को थीम बनाया गया था जबकि दूसरे भाग में सेक्स एजुकेशन के आडंबर और संकीर्ण सोच को कहानी का हिस्सा बनाया गया है. सच कहूं तो  बहुत वक्त बाद कोई ऐसी फिल्म देखी जिसमें कोई कमी नहीं दिखी. जिसकी राइटिंग कमाल की लगी. जिसमे कई ऐसे सीन आए जहां थिएटर तालियों से गूंज उठा.

कहानी:
ये कहानी है शिव के भक्त कांति शरण मुदगल यानि पंकज त्रिपाठी की जिनके बेटे को स्कूल से निकाल दिया जाता है क्योंकि स्कूल के मुताबिक वो एक ऐसी हरकत कर देता है जो सही नहीं है. बेटे के स्कूल से निकाले जाने के बाद कांति शरण के पूरे परिवार की बदनामी होने लगती है. कहीं आना-जाना मुश्किल हो जाता है. जिससे परेशान होकर वह पूरे परिवार के साथ कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर जाने की योजना बनाता है. पूरा परिवार रेलवे स्टेशन पर पहुंचता है. यहां उसका बेटा ट्रेन के आगे खुदकुशी करने की कोशिश करता है लेकिन उसी वक्त मानव वेष में शिव के दूत बनकर अक्षय कुमार आते हैं. इसके बाद कांति शरण को हर कदम पर इस शिव के दूत का सहयोग मिलता है. वही उसमें हिम्मत भरते हैं कि उसके बेटे की सेहत और भविष्य को खराब करने के जो-जो जिम्मेदार हैं, उन सबके खिलाफ वह मुकदमा करे और सच को सच की तरह स्वीकार करें. क्योंकि जो सत्य है वही सुंदर है और जो सुंदर है वही शिव है. इसके बाद कांति शरण वापस जाकर स्कूल प्रबंधन और उसके बेटे को यौन शक्ति वर्धक के नाम पर भ्रामक दवाइयां देने वाले झोला छाप डॉक्टरों, वैद्यों के खिलाफ केस कर देते हैं. इसके बाद लंबा कोर्ट रूम ड्रामा चलता है और इस दौरान क्या-क्या होता है, यह तो पूरी फिल्म देखने के बाद ही जाना जा सकता है. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि पूरी फिल्म दर्शकों का भरपूर मनोरंजन के साथ-साथ एजुकेट भी करती है.

एक्टिंग :
शिव के दूत के रूप में अक्षय कुमार जबरदस्त लगे हैं. अक्षय का रोल फिल्म में कम है और यही उनकी रोल की खासियत है. वो वहां आते हैं जहां जरूरत है लेकिन जब आते हैं तो छा जाते हैं. उनकी स्क्रीन प्रेजेंस जबरदस्त है. पंकज त्रिपाठी ने कांति शरण के किरदार में जान डाल दी है. उनकी एक्टिंग इतनी परफेक्ट है कि आप कहीं कमी ढूंढ ही नहीं पाएंगे. वकील के किरदार में यामी गौतम शानदार हैं. जज के किरदार में पवन मल्होत्रा ने शानदार एक्टिंग की है. पंकज त्रिपाठी के पत्नी और बच्चों के किरदार निभाने वाले कलाकारों ने भी काफी अच्छा काम किया है.

डायेरक्शन :
अमित राय का डायरेक्शन बहुत अच्छा है. फिल्म पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत है. अमित राय ने ही फिल्म को लिखा भी है और बहुत खूब लिखा है. इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी ही इसकी राइटिंग है और इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है. परफेक्ट कुछ नहीं होता हर चीज में बेहतरी की गुजाइंश होती है लेकिन ये फिल्म हाल के दिनों में आई बेहद शानदार फिल्म है जिसे जरूर देखा जाना चाहिए. ये फिल्म आपको काफी कुछ सिखाएगी.

कैसी है फिल्म
ये फिल्म शानदार है, पहले सीन से ये फिल्म आपको बांध लेती है और सही पेस से आगे बढ़ती है. एक भी सीन ऐसा नहीं आता जहां आप एंटरटेन ना हों. एक के बाद एक ऐसे सीन आते हैं जहां आप तालियां बजाते हैं. कोर्ट के सीन शानदार हैं बीच बीट में कॉमिक पंच डाले गए हैं. जो हंसाते भी हैं और कहीं ना कहीं समाज के बनाए गलत तौर तरीकों पर चोट भी करते हैं. ये फिल्म आपको बहुत कुछ देती है. इस फिल्म को ए सर्टिफिकेट दिया गया है लेकिन फिल्म बच्चों की सेक्स एजुकेशन पर है और आपको फिल्म देखते हुए लगता है कि बच्चों को ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए. फिल्म में अक्षय यो शिव के दूत के रूप में दिखाया गया है. जिससे किसी तरह का कोई विवाद ना हो. जहां उन्हें शिव के गेटअप में दिखाया गया है उसे भी जस्टिफाई किया गया है. 

क्यों देखें  ?
फिल्म के गीत-संगीत पहले ही धूम मचा चुके हैं, इसलिए उसके बारे में क्या कहा जाये लेकिन एक बात जरूर है कि इस फिल्म की कहानी में सेक्स एजुकेशन को लेकर कई अहम बातें कही गई हैं जिसको लेकर सरकार और सिस्टम को जागरूक होना चाहिए.दर्शकों के हर वर्ग को यह फिल्म देखनी चाहिए.


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