दक्षिण-पूर्व एशिया में कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा को लेकर कई दिनों तक चली झड़पों के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होने की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। दोनों देशों के बीच हालिया तनाव के बाद कंबोडिया ने थाईलैंड को एक अहम कूटनीतिक प्रस्ताव भेजा है, जिसे क्षेत्रीय शांति की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर इस घटनाक्रम का श्रेय लेते हुए संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।
कंबोडिया के सीमा मामले के राज्य सचिवालय ने सोमवार, 29 दिसंबर 2025 को एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इस विज्ञप्ति के अनुसार, कंबोडिया ने थाईलैंड को एक औपचारिक कूटनीतिक नोट भेजा है, जिसमें जनवरी 2026 के पहले सप्ताह में एक ‘त्वरित सीमा बैठक’ आयोजित करने का प्रस्ताव दिया गया है। यह बैठक कंबोडिया के सिएम रीप प्रांत में आयोजित करने की योजना है, जहां कंबोडिया-थाईलैंड संयुक्त आयोग की बैठक होगी।
इस प्रस्तावित बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच जमीन सीमा के संयुक्त सर्वे और सीमांकन (डिमार्केशन) की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने पर चर्चा करना है। कंबोडिया का मानना है कि सीमा से जुड़े लंबित मुद्दों का शांतिपूर्ण और तकनीकी समाधान ही दोनों देशों के बीच स्थायी शांति सुनिश्चित कर सकता है। हालिया झड़पों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिना स्पष्ट सीमांकन के छोटे-छोटे विवाद भी बड़े संघर्ष का रूप ले सकते हैं।
हालांकि, कंबोडिया के इस प्रस्ताव पर थाईलैंड की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। थाई सरकार की चुप्पी को लेकर क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि बैंकॉक इस मुद्दे पर आंतरिक स्तर पर विचार-विमर्श कर रहा है। थाईलैंड के लिए यह फैसला राजनीतिक और रणनीतिक दोनों ही दृष्टि से संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि सीमा विवाद लंबे समय से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का कारण रहा है।
इसी बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर ध्यान खींचा है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर लिखा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच शुरू हुई लड़ाई कुछ समय के लिए रुक जाएगी और दोनों देश हाल ही में हुए “वास्तविक समझौते” के अनुसार शांति से रहने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने दोनों देशों के नेताओं की प्रशंसा करते हुए इसे तेज और निर्णायक फैसला बताया।
ट्रंप यहीं नहीं रुके। उन्होंने अमेरिका की भूमिका की तुलना संयुक्त राष्ट्र से करते हुए यूएन पर अप्रत्यक्ष हमला बोला। ट्रंप ने लिखा कि पिछले ग्यारह महीनों में उन्होंने आठ महीनों के भीतर कई युद्धों और संघर्षों को सुलझाने या रोकने में भूमिका निभाई है, जबकि संयुक्त राष्ट्र इनमें से अधिकांश मामलों में प्रभावी साबित नहीं हुआ। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां संयुक्त राष्ट्र की भूमिका बेहद सीमित रही है।
ट्रंप के इस बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। कुछ विशेषज्ञ इसे ट्रंप की आत्मप्रशंसा और अमेरिका-केंद्रित कूटनीति का हिस्सा मानते हैं, जबकि अन्य का कहना है कि इससे संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं की साख पर सवाल उठते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के संदर्भ में देखें तो कंबोडिया और थाईलैंड के बीच प्रस्तावित बैठक वास्तव में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अहम साबित हो सकती है।
फिलहाल सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि थाईलैंड कंबोडिया के प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाता है। यदि यह बैठक होती है और सीमा विवाद पर ठोस प्रगति होती है, तो यह न केवल दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करेगी, बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति और सहयोग का सकारात्मक संदेश भी देगी।