भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है। हाल के वर्षों में बोर्ड ने खिलाड़ियों के वेतन, सुविधाओं और पेंशन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है। जहां पुरुष और महिला क्रिकेटरों के बीच 'समान वेतन' की नीति लागू की गई और घरेलू खिलाड़ियों की मैच फीस बढ़ाई गई, वहीं खेल के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ 'अंपायरों' को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 7 सालों से बीसीसीआई के पैनल में शामिल अंपायरों के वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
अंपायरों का मौजूदा ढांचा और वेतन
क्रिकबज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में बीसीसीआई के तहत कुल 186 अंपायर कार्यरत हैं। इन अंपायरों को उनके अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो टीम इंडिया के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट ग्रेड्स (A+, A, B, C) की तरह ही हैं।
अंपायरों की मौजूदा संख्या और प्रतिदिन की कमाई का विवरण इस प्रकार है:
| कैटेगरी |
अंपायरों की संख्या |
प्रतिदिन का वेतन (मैच के दौरान) |
| A+ |
9 |
₹40,000 |
| A |
20 |
₹40,000 |
| B |
58 |
₹30,000 |
| C |
99 |
₹30,000 |
यह वेतन ढांचा साल 2017-18 से जस का तस बना हुआ है। गौरतलब है कि इस दौरान महंगाई और अन्य खर्चों में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन अंपायरों की फीस में एक रुपये का भी इजाफा नहीं हुआ है।
घरेलू सीजन का भारी वर्कलोड
भारत में इस समय घरेलू क्रिकेट का पीक सीजन चल रहा है। रणजी ट्रॉफी, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और अब विजय हजारे ट्रॉफी के मुकाबले लगातार हो रहे हैं। इसके अलावा महिला क्रिकेट के सीनियर और जूनियर टूर्नामेंट्स का भी आयोजन हो रहा है। इन सभी मैचों में अंपायरिंग का जिम्मा इन्हीं 186 अंपायरों के कंधों पर होता है।
अंपायरों को न केवल मैदान पर घंटों खड़े रहना पड़ता है, बल्कि लगातार यात्रा और अत्यधिक दबाव के बीच सटीक फैसले देने होते हैं। ऐसे में पिछले सात वर्षों से वेतन न बढ़ना उनकी मेहनत और समर्पण के साथ अन्याय की तरह देखा जा रहा है।
अंपायर्स कमेटी की सिफारिश और बोर्ड का रुख
अंपायरों की स्थिति सुधारने के लिए बीसीसीआई की अंपायर्स कमेटी ने एपेक्स काउंसिल की बैठक में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें पेश की थीं। कमेटी का प्रस्ताव था कि:
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श्रेणियों का विलय: 4 श्रेणियों के बजाय केवल 2 श्रेणियां रखी जाएं।
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समान वेतन: सभी अंपायरों का वेतन एक समान करते हुए ₹40,000 प्रतिदिन किया जाना चाहिए।