क्रिकेट की दुनिया के लिए साल 2026 किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होने वाला है। एक ओर जहाँ जनवरी में अंडर-19 मेंस वर्ल्ड कप का बिगुल बजेगा, वहीं फरवरी से मेंस टी20 वर्ल्ड कप 2026 की शुरुआत होगी। भारतीय प्रशंसक उम्मीद लगाए बैठे हैं कि टीम इंडिया दोनों खिताब अपने नाम करेगी, लेकिन टूर्नामेंट्स की शुरुआत से ठीक पहले एक ऐसी हकीकत सामने आई है जो बीसीसीआई और चयनकर्ताओं की नींद उड़ा सकती है। भारत की दोनों टीमों—सीनियर और जूनियर—के कप्तान इस वक्त अपने करियर के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं।
अंडर-19 वर्ल्ड कप: कप्तान आयुष म्हात्रे की 'खामोशी' बनी पहेली
रविवार, 21 दिसंबर को दुबई में खेले गए अंडर-19 एशिया कप के फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को करारी शिकस्त दी। हार से ज्यादा परेशान करने वाली बात कप्तान आयुष म्हात्रे का व्यक्तिगत प्रदर्शन रहा। 348 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए कप्तान को आगे बढ़कर नेतृत्व करना था, लेकिन वह महज 8 गेंदों में 2 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
आंकड़ों की गवाही: पूरे एशिया कप टूर्नामेंट में आयुष के बल्ले ने टीम का साथ छोड़ दिया। 5 पारियों में वह सिर्फ 13 की औसत से 65 रन बना सके। चौंकाने वाली बात यह है कि उनके अंडर-19 वनडे करियर का रिकॉर्ड भी डराने वाला है। अब तक खेले गए 14 मैचों में वह मात्र 143 रन बना पाए हैं, जिसमें एक भी अर्धशतक शामिल नहीं है। अगले महीने होने वाले वर्ल्ड कप में अगर सलामी बल्लेबाज और कप्तान ही फ्लॉप रहता है, तो टीम इंडिया के लिए मिडिल ऑर्डर पर दबाव संभालना नामुमकिन हो जाएगा।
टी20 वर्ल्ड कप: क्या 'सूर्या' की चमक पड़ गई है फीकी?
जूनियर टीम की ही तरह सीनियर टी20 टीम का हाल भी कुछ ऐसा ही है। दुनिया के नंबर-1 टी20 बल्लेबाज रहे सूर्यकुमार यादव को जब से पूर्णकालिक कप्तानी सौंपी गई है, उनका बल्ला जैसे रूठ गया है। 7 फरवरी 2026 से शुरू होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में भारत की उम्मीदें सूर्या पर टिकी हैं, लेकिन उनके हालिया आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
सूर्या का साल 2025 का खराब रिकॉर्ड:
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कुल टी20 मैच: 21
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कुल रन: 218
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औसत: मात्र 13.00
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अर्धशतक: शून्य (0)
साउथ अफ्रीका के खिलाफ हालिया सीरीज में भी वह 4 पारियों में केवल 34 रन बना पाए। एक ऐसा बल्लेबाज जो मैदान के चारों ओर शॉट खेलने के लिए जाना जाता है, उसका स्ट्राइक रेट और औसत दोनों गिरना टीम के संतुलन को बिगाड़ रहा है।
क्या कप्तानी का दबाव पड़ रहा है भारी?
क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि दोनों ही खिलाड़ी कप्तानी के अतिरिक्त बोझ तले दबते नजर आ रहे हैं। सूर्यकुमार यादव जहाँ अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे, वहीं अब वह संयम बरतने के चक्कर में अपनी नेचुरल लय खो रहे हैं। दूसरी ओर, आयुष म्हात्रे अभी युवा हैं और एशिया कप फाइनल जैसे बड़े मैचों का दबाव उनके शॉट्स सिलेक्शन में साफ नजर आ रहा है।
निष्कर्ष: वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में टीम को न केवल एक रणनीतिकार की जरूरत होती है, बल्कि एक ऐसे लीडर की भी जो बल्ले से 'फ्रंट' से लीड करे। यदि अगले कुछ हफ्तों में सूर्या और आयुष अपनी फॉर्म वापस नहीं पाते, तो भारत के लिए 2026 के दोनों वर्ल्ड कप में राह बेहद मुश्किल होने वाली है। क्या बीसीसीआई को 'प्लान-बी' पर विचार करना चाहिए? यह सवाल अब गलियारों में गूँजने लगा है।