भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारे यशस्वी जायसवाल इन दिनों चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, लेकिन अपनी बल्लेबाजी से ज्यादा अपनी टीम में अनिश्चित जगह को लेकर। टेस्ट क्रिकेट में अपनी जगह पक्की कर चुके जायसवाल सफेद गेंद (वनडे और टी20) के फॉर्मेट में लगातार अंदर-बाहर हो रहे हैं। इस स्थिति पर पूर्व मुख्य चयनकर्ता और दिग्गज क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर ने कड़ी आपत्ति जताई है और चयनकर्ताओं के फैसलों पर सवाल उठाए हैं।
दिलीप वेंगसरकर की चेतावनी: आत्मविश्वास पर प्रहार
दिलीप वेंगसरकर, जिन्होंने कभी विराट कोहली जैसे महान खिलाड़ी की प्रतिभा को पहचाना था, का मानना है कि यशस्वी जायसवाल के साथ जो हो रहा है वह उनके आत्मविश्वास को तोड़ने जैसा है। वेंगसरकर के अनुसार:
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मैच विनर की अनदेखी: किसी भी मैच जिताने वाले खिलाड़ी को बिना किसी ठोस कारण के बाहर नहीं बैठना चाहिए।
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फॉर्म की उपेक्षा: यशस्वी खेल के तीनों प्रारूपों में शानदार लय में हैं। वेंगसरकर ने सवाल किया कि टीम में स्थायी जगह बनाने के लिए आखिर एक बल्लेबाज को और क्या करने की जरूरत है?
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मानसिक दबाव: बार-बार टीम से बाहर किए जाने से खिलाड़ी को महसूस होने लगता है कि उसकी जरूरत नहीं है, जिससे उसका खेल प्रभावित हो सकता है।
टी20 में रिकॉर्ड बेमिसाल, फिर भी टीम से बाहर
हैरानी की बात यह है कि यशस्वी का टी20 इंटरनेशनल में रिकॉर्ड किसी भी दिग्गज सलामी बल्लेबाज को टक्कर देता है:
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स्ट्राइक रेट: उनका स्ट्राइक रेट 160 से ऊपर है, जो आधुनिक टी20 क्रिकेट की प्राथमिक मांग है।
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औसत और शतक: 36 से ज्यादा के औसत और एक अंतरराष्ट्रीय शतक के बावजूद उन्हें टी20 वर्ल्ड कप और न्यूजीलैंड सीरीज से बाहर रखा गया।
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चयन का तर्क: शुभमन गिल की जगह ईशान किशन को टीम में शामिल किया गया क्योंकि टीम को एक विकेटकीपर-बल्लेबाज की आवश्यकता थी। हालांकि, वेंगसरकर का मानना है कि गिल के विकल्प के तौर पर जायसवाल पहली पसंद होने चाहिए थे।
वनडे फॉर्मेट: शतक के बाद भी बाहर होने का खतरा
हाल ही में साउथ अफ्रीका के खिलाफ तीसरे वनडे में यशस्वी ने शानदार शतक जड़कर अपनी उपयोगिता साबित की थी। यह मौका उन्हें शुभमन गिल की गैरमौजूदगी में मिला था। लेकिन विडंबना देखिए कि आगामी न्यूजीलैंड सीरीज में जैसे ही शुभमन गिल की वापसी हो रही है, यशस्वी को फिर से बेंच पर बैठने के लिए मजबूर किया जा सकता है। रोहित शर्मा और शुभमन गिल की जोड़ी टीम मैनेजमेंट की पहली पसंद बनी हुई है, जिससे शतकवीर जायसवाल के लिए प्लेइंग इलेवन के दरवाजे बंद होते दिख रहे हैं।
भविष्य की राह और कप्तानी का विजन
दिलीप वेंगसरकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि चयन समिति को 'करंट फॉर्म' को प्राथमिकता देनी चाहिए। यशस्वी जायसवाल टीम को वह आक्रामक शुरुआत देते हैं जो पावरप्ले में मैच का रुख बदल सकती है। ऐसे में उन्हें केवल 'बैकअप' ओपनर बनाकर रखना भारतीय क्रिकेट के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
निष्कर्ष: यशस्वी जायसवाल की प्रतिभा पर किसी को संदेह नहीं है, लेकिन टीम में उनका 'इन-आउट' होना भारतीय टीम की 'प्रोसेस' पर सवाल खड़े करता है। क्या टीम मैनेजमेंट भविष्य के लिए एक मैच विनर तैयार कर रहा है या उसे भ्रमित कर रहा है? वेंगसरकर की राय इस ओर इशारा करती है कि अगर जायसवाल को सही समर्थन नहीं मिला, तो भारत एक महान ऑल-फॉर्मेट ओपनर खो सकता है।